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________________ गुजराती अनुवाद : अवधिज्ञान वड़े में जाण्यु के आ मारो विद्युत्प्रय नामनो मित्र छे जे नभोवाहन ना भयथी उतावळे जई रह्यो छे। हिन्दी अनुवाद : अवधिज्ञान से मुझे पता चला कि यह हमारा विद्युत्प्रभ नाम का मित्र है जो नभोवाहन के भय से जल्दी-जल्दी जा रहा है। गाहा : नहवाहणोवि एसो पट्ठि-विलग्गो इमस्स एइत्ति । ताहे करेमि किंचिवि उवगारं पुव्य-मित्तस्स ।।८।। संस्कृत छाया : नभोवाहनोऽपि एष पृष्ठ-विलमोऽस्य एति इति। तदा करोमि किञ्चिदप्युपकारं पूर्वमित्रस्य ।।८।। गुजराती अनुवाद : नभोवाहन पण आ अनी पाछण पीछो कटीने आवी रहयो छे तो हूं मारा पूर्वधव ना मित्र नो कइंक उपकार थाय, तेवू कर। हिन्दी अनुवाद : नभोवाहन भी इसका पीछा करता हुआ आ रहा है। इसलिए मुझे मेरे पूर्वभव के मित्र का कुछ उपकार हो जाय, ऐसा कार्य करना चाहिए। गाहा : एवं विचिंतिऊणं तुम्ह समीवम्मि आगओ अहयं । तइया य मणी दिव्वो समप्पिओ जीव-रक्खट्ठा ।।९।। संस्कृत छाया : एवं विचिन्त्य तव समीपेऽऽगतोऽहम् । तदा च मणिर्दिव्यः समर्पितो जीवरक्षाणार्थः ।।९।। गुजराती अनुवाद : राम विचारी ने तारी नजीक आवी ने तारा रक्षण माटे तने में ते दिव्य मणि आप्यो हतो।
SR No.525094
Book TitleSramana 2015 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size15 MB
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