SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 165
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हिन्दी अनुवाद : तब धनदेव ने कहा हे सुन्दरी! तुम्हें समस्त व्यापारी वर्ग में श्रेष्ठ पुत्र होगा, ऐसा यह स्वप्न सूचित करता है। गाहा : भणियं सिरिकंताए एवं पिय! होउ वयणयं सच्चं । सासण-देवी-पभावा बद्धो एसो मए गंठी ।। २४५।। संस्कृत छाया : भणितं श्रीकान्तया एवं प्रिय! भवतु वचनं सत्यम् । शासनदेवी-प्रभावात् बद्ध एष मया प्रन्थिः ।।२४५।। गुजराती अनुवाद : श्रीकान्ताओ कहयुं तमाटी वात साची छे. शासनदेवी ना यावथी हुं आ गाँठ बांधू छु. हिन्दी अनुवाद : श्रीकान्ता ने कहा तुम्हारी बात सच्ची है। शासन देवी के प्रभाव से आज यह गाँठ बाँध रही हूँ। गाहा : तीए च्चिय रयणीए तीए कुच्छिंसि गम्भ-संभूई। जाता कमेण जाव य वोलीणा दोन्नि मासा से ।। २४६।। संस्कृत छाया : तस्यामेव रजन्यां तस्याः कुक्षौ गर्भ-सम्भूतिः । जाता क्रमेण यावच्चाऽतिक्रान्तौ मासौ तस्याः ।। २४६ ।। गुजराती अनुवाद : तेज रात्रि मां तेणीने कुक्षिमा गर्भ रह्यो आम क्रमथी तेणीने चे महीना पसार थई गया। हिन्दी अनुवाद : उसी रात उसकी कोख में गर्भ ठहरा। इस प्रकार दो महीने बीत गए। गाहा : तइयम्मि पुणो मासे दोहलओ तीए अभय-दाणम्मि । जाओ धणदेवेणवि सिढे सो पूरिओ तीए ।।२४७।।
SR No.525094
Book TitleSramana 2015 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy