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________________ संस्कृत छाया : तृतीये पुनर्मासे दोहदकस्तस्या अभयदाने । जातो धनदेवेनाऽपि शिष्टे स पूर्णस्तस्याः ।। २४७।। गुजराती अनुवाद :___श्रीजा महीने तेणीने अभयदान आपवानो दोहलो थयो अने धनदेवे ते पूटो कर्यो। हिन्दी अनुवाद : तीसरे महीने में उसे अभयदान देने वाला दोहद हुआ और धनदेव ने उसे पूरा किया। गाहा : अह उवधिय-गन्मा पूरिए दोहलम्मी पसवण-समयम्मी आगयम्मी सुहेण । सुह-गह-निवहम्मी उच्च-ठाण-डियम्मी सह-करण-मुत्ते दारयं सा पसूया ।। २४८।। संस्कृत छाया :अथोपचित-गर्भा पूर्णे दोहदे, प्रसवन-समयेऽऽगते सुखेन ।। शुभग्रहनिवहे उच्चस्थान-स्थिते; शुभकरण-मुहूर्ते दारकं सा प्रसूता ।। २४८।। गुजराती अनुवाद :___आ बाजु मां वधता गर्धवाळी, पूर्ण दोहदवाळी तेणीनो प्रसवनो समय आवे छे. ने शुभग्रहनो समुदाय उच्च स्थान मां रहे छ। शुभकरण अने शुभ मुहूर्त मां तेणीओ पुत्रने जन्म आप्यो। हिन्दी अनुवाद : इधर बढ़ते गर्भ और पूर्ण दोहदवाली उसके प्रसव का समय आता है। शुभ ग्रहों का समुदाय उच्चस्थान में हैं। शुभकरण मुहूर्त में उसने पुत्र जन्म दिया। गाहा : साहु-धणेसर-विरइय-सुबोह-गाहा-समूह-रम्माए । रागग्गि-दोस-विसहर-पसमण-जल-मंत- भूयाए ।। २४९।।
SR No.525094
Book TitleSramana 2015 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size15 MB
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