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________________ गाहा : अह पुव्व सिणेहेणं सिरिकंता सासुयाइणुन्नाया। निय-चेडि-जुया पत्ता कमलावइ-देवि-गेहम्मि ।। २३३।। संस्कृत छाया : अथ पूर्वस्नेहेन श्रीकान्ता श्वश्रवाऽनुज्ञाता । निज-चेटियुक्ता प्राप्ता कमलावती-देवी-गेहे ।।२३३।। गुजराती अनुवाद : आ बाजु पूर्वना स्नेह थी श्रीकान्ता पोताना सासुनी आज्ञा लईने पोतानी दासी साथे कमलावती राणीनां महेल मां गई। हिन्दी अनुवाद : इधर पहले के प्रेम के कारण श्रीकान्ता अपने सास की आज्ञा लेकर कमलावती राणी के महल में अपनी दासी के साथ गई। गाहा : दटुं पुव्व वयंसि वियसिय-मुह-पंकया महा-देवी। अइगरुय-सिणेहेणं उठ्ठिय आलिंगए एयं ।। २३४।। संस्कृत छाया : दृष्ट्वा पूर्ववयस्यां विकसित-मुख-पङ्कजा महादेवी । अतिगुरुकस्नेहेनोत्थाय आलिङ्गत्येताम्।।२३४।। गुजराती अनुवाद : पोतानी नानपणानी सखी जोईने कमलावती विकसित मुखछपी कमळ वाळी महादेवी अत्यंत हर्षपूर्वक श्रीकान्ता ने भेंटी पड़ी। हिन्दी अनुवाद : अपने बचपन की सखी को देखकर खिले कमल के फूल की तरह कमलावती महादेवी अत्यन्त हर्षपूर्वक श्रीकान्ता के गले लगी। गाहा: भणइ य वयंसि! उक्कंठियाए दिट्ठा पभूय-कालाओ। अइसोहणं हि जायं जं सासुरयंपि तुहवि एत्थ ।। २३५।।
SR No.525094
Book TitleSramana 2015 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size15 MB
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