SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 158
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गुजराती अनुवाद : आवा श्रेष्ठ गुणवाळो, सरस स्वधाववाला ओवा सुप्रतिष्ठ नो क्रूर कनकवती ए केवो करुण अंजाम लावी दीयो। हिन्दी अनुवाद : इतने श्रेष्ठ गुणवाले सरस स्वभाववाले सुप्रतिष्ठ को क्रूर कनकवती ने कैसे करुण अंजाम तक पहुँचा दिया। गाहा : माइंदजाल-सरिसं सव्वं एयम्मि हंदि! संसारे । खण-दिट्ठ-नट्ठ-रूवं षण-परियण-जीवियव्वाइं ।। २२९।। संस्कृत छाया : मायेन्द्र-जाल-सदृशं सर्वमेतस्मिन् हन्दि! संसारे । क्षणदृष्ट-नष्टरूपं धनपरिजन-जीवितव्यादिनि ।।२२९।। गुजराती अनुवाद : खरेखर संसार मां बधुं माया अने इन्द्रजाल समान छे. क्षण वार मां धन, परिजन, जीवन हतुं न हतुं थई जाय छ। हिन्दी अनुवाद : इस संसार में सब कुछ माया और इन्द्रजाल के समान है। क्षण भर में धन, परिजन, जीवन जो था, अब नहीं रहता है। गाहा : न य नज्जइ किं जायं महाणुभावस्स सुप्पइट्ठस्स । किं जीवइ अहव मओ संगामे एत्थ जुज्झंतो? ।।२३०।। संस्कृत छाया : न च ज्ञायते किं जातं महानुभावस्य सुप्रतिष्ठस्य । किं जीवति अथवा मृतः संग्रामेऽत्र युध्यमानः? ।।२३०।। गुजराती अनुवाद : शी खबर महानुभाव सुप्रतिष्ठनुं शुं थयु? संग्राम मां लड़तां ते जीवे छे के मर्यो.
SR No.525094
Book TitleSramana 2015 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy