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________________ गाहा : तीएवि ससिणेहं अवंग-दिट्ठीए पुलइओ एसो। अह चिंतइ घणदेवो तीए रूवेण अक्खित्तो ।।१६३।। संस्कृत छाया : तयाऽपि सस्नेहमपाङ्गदृष्ट्या दृष्ट एषः । अथ चिन्तयति धनदेवस्तस्या रूपेणाऽऽक्षिप्तः ।।१६३।। गुजराती अनुवाद : तेणीओ पण स्नेहपूर्वक वांकी नजर थी धनदेव ने जोयो. हवे धनदेव. तेना छपमां खेंचायो अने विचारे छ। हिन्दी अनुवाद : उसने भी धनदेव को तिरछी नजर से देखा। उसके रूप से आकर्षित धनदेव विचार करते हैं। गाहा : जइ ताव इमा कन्ना, देति य जइ मे विमग्गिया एए । ता होज्ज मह कयत्यो दइयाए इमाए मणुय-भवो ।।१६४।। संस्कृत छाया : यदि तावदेवा कन्या ददाति च यदि माम् विमार्गितते । तदा भवेद् मम कृतार्थों दयितयाऽनया मनुजभवः ।।१६४।। गुजराती अनुवाद : जो मांगवाथी मने आ कन्या मळे तो आवी प्रिया बड़े मारो मनुष्य धव कृतार्थ थाय। हिन्दी अनुवाद : ___यदि मांगने से यह कन्या मुझे प्राप्त हो जाय तो पत्नी के रूप में इसे पाकर मेरा मनुष्य भव कृतार्थ हो जाय। गाहा : कह होज्ज मज्झ एसा मग्गामि सयंपि अहव अन्नेण । जइ दाहिंति न मज्झं विमग्गिया, होज्ज लहुयत्तं ।।१६५।।
SR No.525094
Book TitleSramana 2015 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size15 MB
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