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________________ हिन्दी अनुवाद : एक दिन श्रीदत्त खूब आग्रह कर धनदेव को अपने यहाँ भोजन को ले गया। गाहा : तत्थ य गएण दिट्ठा सिरिकंता पवर-रूव-संपन्ना । भगिणी सिरिदत्तस्स उ कन्ना नव-जोव्वणारंभा ।।१६१।। संस्कृत छाया : तत्र च गतेन दृष्टा श्रीकान्ता प्रवर-रूप-सम्पन्ना। भगिनी श्रीदत्तस्य तु कन्या नवयौवनारम्भा ।।१६१।। गुजराती अनुवाद : त्यां धनदेव श्रीदत्तनी बहेन जे अत्यन्त उपाळी अने यौवन वाळी हती ते श्रीकान्ताने जोई। हिन्दी अनुवाद : वहाँ धनदेव ने श्रीदत्त की अत्यन्त रूप तथा यौवन सम्पन्न बहन श्रीकान्ता को देखा। गाहा : सातालियंट-हत्था वीएंती भोयणं करेंतेण । सच्चविया पच्चंगं अब्भुववन्नो तओ एसो ।।१६२।। संस्कृत छाया : सा तालवृन्तहस्ता वीजयन्ती भोजनं कुर्वता । दृष्टा प्रत्यङ्गमभ्युपपन्नस्तत एषः ।।१६२।। गुजराती अनुवाद : तेणी ताड़वृक्षनां पंखाथी भोजन करता अवा धनदेवने पवन नाखती हती त्यारे धनदेव तेणीने जोईने रागवाळो थयो। हिन्दी अनुवाद : जब वह ताड़ वृक्ष के पंखे से भोजन करते हुए धनदेव को पंखा झल रही थी तब धनदेव उसे देखकर उसके प्रति प्रेम वाला हो गया।
SR No.525094
Book TitleSramana 2015 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size15 MB
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