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________________ गुजराती अनुवाद : कुशायपुर नगर मां जईने पाछा... तमारा ग्राम जतां अमारा उपर अनुग्रह करवा अहीं पधार। हिन्दी अनुवाद : कुशाग्रपुर नगर जाकर वापसी में अपने गाँव जाते समय हमारे ऊपर कृपा कर यहीं पधारिएगा। गाहा : भणियं धणदेवेणं होउ अविग्घेण ताव समओ सो। जं एसो च्चिय मग्गो नियत्तमाणाणमम्हाण ।।१५१।। संस्कृत छाया : भणितं धनदेवेन भवत्वविनेन तावत् समयः सः । यदेष एव मार्गो निवर्तमानानामस्माकम् ।।१५१।। गुजराती अनुवाद : धनदेवे कहयुं भले कोई अंतराय नहि नड़े तो वळतां आज मार्गे आवशुं त्यारे समय हशे तो जोई\। हिन्दी अनुवाद : धनदेव ने कहा कि यदि कोई अन्तराय नहीं आया तो वापसी में इसी रास्ते से आऊंगा, और तब समय रहेगा तो देखूगा। गाहा : एवं कय-संभासो रयणिं गमिऊण तस्स गेहम्मि । पत्ते पभाय-समए संवूढे सयल-सत्यम्मि ।।१५२।। तव्वेल-समुचियं सो कायव्वं काउं निग्गओ तत्तो। निय-परियण-सहिएणं पल्ली-वइणाऽणुगम्मतो ।।१५३।। संस्कृत छाया : एवं कृतसम्भाषः रजनी गमयित्वा तस्य गेहे । प्राप्ते प्रभातसमये संव्यूढे सकल-सार्थे ।।१५२।। तद्वेल-समुचितं स कर्तव्यं कृत्वा निर्गतस्ततः । निज-परिजन-सहितेन पल्लीपतिनाऽनुगम्यमानः ।।१५३।।युग्मम्।।
SR No.525094
Book TitleSramana 2015 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size15 MB
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