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________________ गुजराती अनुवाद : ___ आ प्रमाणे वात करीने रात्रि सना घरे पसार करीने सवाटे सहु सार्थनी साथे ते समय नु उचित कार्य कटीने पोताना परिजन सहित त्यांथी निकल्या, त्यारे पल्लीपतिओ तेमने विदाय आपी। हिन्दी अनुवाद : ___ इस प्रकार कहकर रात में उनके घर रुककर प्रात: सभी सार्थ के साथ भी उचित कार्य पूर्ण कर अपने परिजनों के साथ वहाँ से निकले, उस समय पल्लीपति ने उन्हें विदायी दी। कहकहवि नियत्तेउं ससोय-वयणं तु पल्लीनाहं तं । सत्येण समं चलिओ धणदेवो वेसरारूढो ।।१५४।। संस्कृत छाया : कथं कथमपि निवर्त्य सशोक-वदनं तु पल्लीनाथं तम् । सार्थेन समं चलितो धनदेवो वेसरारूढः ।।१५४।। गुजराती अनुवाद : गमे तेम शोकपूर्वक पल्लीनाथ ने पाछा मोकली ने धनदेव (खच्चर). ऊपर चड़ी ने सार्थनी साथे चाल्यो। हिन्दी अनुवाद : जैसे भी शोकपूर्वक पल्लीपति को पीछे छोड़कर धनदेव खच्चर पर चढ़ कर सार्थ के साथ चल दिए। गाहा : कालेण य संपत्तो कुसग्गनयरम्मि वणिय-संजुत्तो। घेत्तुं महग्घ-मुल्लं दरिसणयं नर-वइ-समीवे ।।१५५।। संपत्तो नरवाहण-रना बहु मनिओ तओ तेण । सुंकवइ सयल-भंडं पंच-उलं सक्खिणं काउं ।।१५६।। संस्कृत छाया : कालेन च सम्प्राप्तः कुशासनगरे वणिक्संयुक्तः । गृहीत्वा महाय॑मूल्यं दर्शनीयं नरपति-समीपे ।।१५५।।
SR No.525094
Book TitleSramana 2015 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size15 MB
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