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________________ हिन्दी अनुवाद : तुमने मुझे जीवन दिया और मेरा दु:ख दूर किया। क्योंकि मुझे अखंड शरीर वाली मेरी पत्नी लाकर मुझे दी। गाहा : आउल-मणस्स पुव्विं तुमए जं किंचि मज्झ उवइ8 । सव्वं भरिय-घडस्सव तं मह पासेण वोलीणं ।।१२५।। संस्कृत छाया : आकुलमनसः पूर्वं त्वया यत्किञ्चित् ममोपदिष्टम् । सर्व भृत-घटस्येव तद् मम पार्थेन व्युत्क्रान्तम् ।।१२५।। गुजराती अनुवाद : अत्यार सुधी आकुळ मनवाळा अवा मने ते जे कई पण कहयुं ते घरेला घड़ा ऊपर थी वही जता पाणीनी जेन्म जतुं रहो। हिन्दी अनुवाद : अब तक आकुल मन वाले मुझसे तुमने जो भी कहा वह भरे हुए घड़े के ऊपर से बह जाते पानी की भाँति मेरे पीछे से चला गया। गाहा : तुज्झ पभावा सुर-वर! जाओ हं सत्थ-माणसो इण्डिं । कायव्वं जं किंचिवि संपइ आइससु तं सव्वं ।।१२६।। संस्कृत छाया : तव प्रभावात् सुरवर! जातोऽहं स्वस्थमानस इदानीम् । कर्तव्यं यत् किञ्चिदपि सम्प्रत्यादिश तत् सर्वम् ।।१२६।। गुजराती अनुवाद : हे देव! तारा प्रभाव थी हवे हुं स्वस्थ मनवाळो थयो छु तेथी जे कई पण करवानु होटा ते आदेश कर। हिन्दी अनुवाद : हे देव! आपके प्रभाव से आज मैं स्वस्थ चित्त हुआ हूं। इसलिए जो कोई भी कार्य हो मुझे आदेश करें।
SR No.525094
Book TitleSramana 2015 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size15 MB
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