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हिन्दी अनुवाद :
चित्रवेग की अवस्था देखी तभी उस देव ने ठंडा पानी लाकर उसके सभी अंगों पर छिड़का और अपने कोमल उत्तरीय से धीरे-धीरे हवा दिया तब थोड़ी थोड़ी चेतना आई।
गाहा :
पुणरुत्तं मुच्छिज्जइ अइगुरु- अणुराय- मोहिओ खयरो | अइवल्लह-महिलाए मरणं सरिऊण दुक्खत्तो ।। ९५ ।। संस्कृत छाया :
पुनरुक्तं (पुनः पुनः ) मुर्च्छयतेऽतिगुर्वनुराग - मोहितः खचरः । अतिवल्लभ - महिलाया मरणं स्मृत्वा दुःखार्तः ।। ९५ ।।
गुजराती अनुवाद :
अत्यन्त रागथी मोहित थयेलो ते विद्याधर पोतानी पत्नी ना मरणने याद करीने पीड़ित थयेलो वारंवार मूर्च्छित थाय छे।
हिन्दी अनुवाद :
अत्यन्त प्रेम से मोहित हुआ वह विद्याधर अपनी पत्नी की मृत्यु को याद कर बार-बार मूर्च्छित हो रहा था।
गाहा :
कहकहवि समासत्यो विहिओ गुरु- सोय- पीडिओ तहवि । थूलंसुए मुयंतो अहो - मुहो चिट्ठई जाव ।। ९६।। ताव य सुरेण भणिओ महिलामेत्तस्स कारणे कीस । आयसिज्जइ अप्पा एवंविह- सोय करणेणं? ।। ९७ ।। संस्कृत छाया :
कथंकथमपि समाश्वस्थो विहितो गुरुशोकपीडितस्तथापि । स्थूलाश्रुकाणि मुञ्चन्नधोमुखस्तिष्ठति यावत् । । ९६ । । तावच्च सुरेण भणितो महिलामात्रस्य कारणे कस्मात् । आयास्यते आत्मा एवंविध शोककरणेन ? ।। ९७ ।।
गुजराती अनुवाद :- शोकथी पीड़ित थयेलो गमे तेम आश्वासन पामेलो मोटा मोटा आंसू पाड़ता नीचुं मोढुं राखीने बेठो भेटलीवार मां देवे कां स्त्रीना कारणे तुं शा माटे आटलो शोक करे छे?