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________________ गुजराती अनुवाद : पोताना पत्नीना मरणने सांभळी ने अत्यन्त असह्य भारे दुःखथी पीडायेलो वज्र थी हणायेलोनी जेम के उय सर्प वड़े दंशायेला नी जेम के कोई राक्षस थी ग्रहण करायेलानी जेम के धारे गदाथी प्रहार करायेला नी जेन्स खूबज शोक थी पीड़ित थयेलो ते विद्याधर लाम्बा निःसासा नाखी ने मूछथिी बेहोश थयेलो धरती ऊपर पड़यो अने बधी चेष्टाओ थी रहित निर्जीव नी जेवो थयो। हिन्दी अनुवाद : अपनी पत्नी की मृत्यु को सुनकर अत्यन्त असह्य दुःख से पीड़ित जैसे उसे वज्र से घायल किया गया हो, जैसे उग्र सांप ने उसे डंस लिया हो, जैसे किसी राक्षस ने उसे ग्रस लिया हो या जैसे भारी गदा से उसपर किसी ने प्रहार कर दिया हो, ऐसा अत्यन्त शोक से पीड़ित हुआ वह विद्याधर लम्बी नि:स्वास लेकर मूर्छा से बेहोश हुआ जमीन पर गिर पड़ा, उसकी सभी चेष्टाएँ जाती रहीं और वह निर्जीव की तरह हो गया। गाहा : दद्ण चित्तवेगं तदवत्थं ताहे तेण देवेण । सीयल-जलमाणेत्ता सित्तो सो सव्व-अंगेसु ।।९३।। विहिओ य मए पवणो सुकोमलो नियय-उत्तरीएण । तत्तो खणंतराओ लद्धणवि चेयणं कहवि ।।९४।। संस्कृत छाया : दृष्ट्वा चित्रवेगं तदवस्थं तदा तेन देवेन । शीतलजलमानीय सिक्तः स सर्वाङ्गेषु ।।९३।। विहितश्च मया पवनः सुकोमलो निजोत्तरीयेण । ततः क्षणान्तराद् लब्ध्वाऽपि चेतनां कथमपि ।।९४।। गुजराती अनुवाद : चित्रवेगनी आवी अवस्था ने जोईने त्यारे ते देवे ठंडु पाणी लावी ने तेना बधा अंगों पर सींच्यु. अने मारा खेस वड़े धीमो पवन नाख्यो त्यारे मांड-मांड थोड़ी चेतना आवी।
SR No.525094
Book TitleSramana 2015 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size15 MB
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