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________________ 22 : श्रमण, वर्ष 65, अंक 1 / जनवरी - मार्च 2014 १४. १५. १६. १७. १८. १९. २०. २१. २२. २३. २४. बीभत्साद्भुतशान्ताश्च नव नाट्ये रसाः स्मृता ।। ४/४ काव्यालंकारसंग्रह, द्रष्टव्य-भारतीय साहित्य शास्त्र कोश, पूर्वोक्त, पटना, १९७३, पृ० १०१२। काव्यानुशासन, हेमचन्द्र, सम्पा० आर० सी० पारिख, महावीर जैन विद्यालय, मुम्बई १९३८, खण्ड १, अध्याय २/२७ नाट्यदर्पणम्, रामचन्द्र - गुणचन्द्र, सम्पा० एल० बी० गांधी, गायकवाड ओरिएण्टल सिरीज, बड़ौदा १९५९, विवेक ३, श्लोक ९ अनुयोगद्वारसूत्र, आर्यरक्षित, सम्पा० एवं अनु० मधुकरमुनि, आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर १९८७, सूत्र २६२ (१) वही, २६२ (२) वही, २६२ (३) वही, वही ६२ वही, २६२ अनुयोगद्वारसूत्रटीका, मलधारि हेमचन्द्र, आगमसुत्तणि (सटीक) सम्पा० मुनि दीपरत्नसागर, आगम श्रुत प्रकाशन, अहमदाबाद १९९९, भाग ३०, पृ० १२४। अनुयोगद्वारसूत्रटीका, मलधारि हेमचन्द्र, आगमसुत्तणि (सटीक) सम्पा० मुनि दीपरत्नसागर, आमग प्रकाशन समिति, ब्यावर १९८७, सूत्र २६२ वही, २६२ (९) *****
SR No.525087
Book TitleSramana 2014 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshokkumar Singh, Omprakash Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2014
Total Pages80
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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