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144 : Sramana, Vol 62, No. 1 January-March 2011
Sanskrit, Prof. Kamalesh Datta Tripathi presided over the lecture. A number of scholars and students attended this lecture. बौद्ध दर्शन में शन्यता सिद्धान्त विषय पर संगोष्ठी बौद्ध धर्म के शून्यता के सिद्धान्त पर बौद्ध धर्म-दर्शन के प्रसिद्ध विचारक प्रो० ए०के० चटर्जी, पूर्व अध्यक्ष, दर्शन एवं धर्म विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी का शोधपूर्ण व्याख्यान २१ फरवरी २०११ को पार्श्वनाथ विद्यापीठ में सम्पन्न हुआ। यह व्याख्यान भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित था। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात मुद्राशास्त्रविद् एवं बौद्ध दर्शन के विद्वान् प्रो० ए०के० नारायण ने की। कार्यक्रम का प्रारम्भ डॉ० अशोक कुमार जैन के मंगलाचरण से हुआ। प्रो० सुदर्शन लाल जैन, निदेशक, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, ने अतिथियों का स्वागत करते हुए शून्यता के विषय में प्रचलित भ्रान्त अवधारणाओं पर प्रकाश डाला तथा पार्श्वनाथ विद्यापीठ का सविस्तार परिचय दिया। व्याख्यान के अन्त में प्रो० चटर्जी ने विद्वानों द्वारा शून्यता की अवधारणा पर पूछे गए विभिन्न प्रश्नों का तर्कपुरस्सर उत्तर दिया। 'जैन विद्या के स्रोत एवम् उसके मौलिक सिद्धान्त' विषयक पन्द्रह दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न पार्श्वनाथ विद्यापीठ परिसर में दिनांक १२-२७ मार्च २०११ तक भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित जैन विद्या के स्रोत एवम् उसके मौलिक सिद्धान्त' विषयक पन्द्रह दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन १२ मार्च २०११ को हुआ जिसमें मुख्य अतिथि थे- प्रो०अवधराम, कुलपति,महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी तथा अध्यक्ष थेप्रो० रामहर्ष सिंह, पूर्व कुलपति, राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर। उद्घाटन सत्र में संस्कृत के मूर्धन्य विद्वान् प्रो० रेवा प्रसाद द्विवेदी, संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय, का.हि.वि.वि. मुख्य अतिथि तथा प्रो० आर० सी० पण्डा, डीन, संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय, का.हि.वि.वि. सारस्वत अतिथि थे। इस कार्यशाला में स्थानीय तथा बाहर के कई विश्वविद्यालयों के ८१ छात्रों/अध्यापकों ने भाग लिया। इस कार्यशाला में २१ प्राध्यापकों (रिसोर्स पर्सन्स) ने जैनधर्म दर्शन से सम्बन्धित अनेक विषयों पर उत्कृष्ट व्याख्यान दिये। जिनके विवरण इस प्रकार हैं- डॉ० शुगन चन्द जैन (अध्यक्ष, मैनेजिंग बोर्ड, पार्श्वनाथ विद्यापीठ एवं निदेशक, ISSJS, नई दिल्ली)'Bhagavāna Mahāvīra and his divine Sermon', 'Ethical Doctrine in Jainism, Religious harmony' प्रो० श्री जवाहर लाल (चेन्नई)- ‘Epigraphs of Andhra', डॉ० उषा अग्रवाल (दिल्ली)- 'जैनदर्शन में पुनर्जन्म की अवधारणा'; प्रो० सुदर्शन लाल जैन (वाराणसी)- 'द्रव्य विज्ञान', 'जैन तत्त्वज्ञान', कर्म सिद्धान्त,