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________________ तत्त्वार्थसूत्र के कुछ बिन्दुओं पर विचार : २७ तथा उत्तराध्ययन के "जीवो उवओग-लक्खणो" पर आधारित है। छठे से लेकर दसवें अध्याय में चारित्र विषयक चर्चा है—इसमें योग के प्रकार "कायवाङ्मनः कर्म योगः" (६.१) कहा है अर्थात्-काय, वचन और मन की त्रिपदी योग है जो भगवतीसूत्र की इस परिभाषा "तिविहे जोए पण्णत्ते, तं जहा-मणजोए, वइजोए, कायजोए" से ली हुई है। ___वाचक ने सत् की परिभाषा देते हुए उसे उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य- युक्तं सत् (५.२९) कहा तथा द्रव्य का लक्षण किया— 'गुणपर्यायवद् द्रव्यम्" (५.३७) तथा "तद्भावाव्ययम् नित्यम्' (५.३०) जो कुन्दकुन्द के प्रवचनसार और पञ्चास्तिकाय में भी प्राप्त होता है। यथा अपरिच्चत्तसहावेणुप्पादव्वयधुवत्तसंजुत्तं । गुणवं च सपज्जायं जं तं दव्वं ति वुच्चंति ।। प्रवचनसार, २.३ दव्वं सल्क्खणियं उप्पादव्वयधुवत्तसंजुत्तं। गुणपज्जयासयं वा जं तं भण्णंति सव्वण्हू ।। पञ्चा. १० इसी तरह और भी अनेक उदाहरण प्राप्त होते हैं। इस प्रकार तत्त्वार्थसूत्र में सर्वत्र आगमों से सूत्रात्मक संग्रहण है फिर भी तत्त्वार्थसूत्र का अपना वैशिष्ट्य है जिसे आगे बताया जाएगा। तत्त्वार्थ की शैली पर प्रभाव ___तत्त्वार्थ के समय के सन्दर्भ में विद्वानों में पर्याप्त मदभेद है। ईसा की प्रथम शताब्दी से लेकर चौथी-पाँचवीं शताब्दी तक उनका काल निर्धारित किया जाता रहा है। काल की दृष्टि से चिन्तन करें तो उस समय जैन आगमों एवं बौद्ध पिटकों के लम्बे एवं वर्णनात्मक सूत्र थे, जैन आगमों की प्राकृत भाषा में चली आ रही शैली की जगह वैदिक विद्वानों में संस्कृत भाषा की संक्षिप्त सूत्रों की रचना-शैली बहुत प्रतिष्ठित हो चुकी थी। जैन परम्परा में अब तक संस्कृत भाषा की संक्षिप्त सूत्रशैली में रचा कोई ग्रन्थ नहीं था जिसे उमास्वाति ने प्रारम्भ किया। रचना के उद्देश्य के सन्दर्भ में विचार करें तो उमास्वाति ने भी अंतिम उद्देश्य मोक्ष को रखकर ही उसकी प्राप्ति का उपाय सिद्ध करने वाले सभी तत्त्वों का वर्णन अपने तत्त्वार्थ में किया। जैसा कि सभी भारतीय शास्त्रकारों द्वारा शास्त्र-रचना के विषय-निरूपण के अन्तिम उद्देश्य के रूप में मोक्ष को ही रखा जाता है चाहे वह कोई भी विषय रहा हो। प्रायः सभी भारतीय दर्शनों
SR No.525074
Book TitleSramana 2010 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshok Kumar Singh, Shreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size10 MB
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