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________________ जैनसाधनापद्धति : मनोऽनुशासनम् : ६३ (९) षष्ठ प्रकरण में योगांगों में यम के नाम से प्रसिद्ध पंचमहाव्रतों की मीमांसा की गई है। इनको साधना के लिये साधन मानने के स्थान पर साध्य मान लिया गया है। आचार्य मन के नियमन से प्रारम्भ की गई यात्रा को ध्यान की सामग्री, ध्याता, ध्यान के भेद, धारणा, समाधि और प्राणायाम से बढ़कर पंच महाव्रतों और श्रमण धर्म के रूप में नियमों की सिद्धि तक ले आये हैं। इसी प्रकरण में समाधि से प्राप्त होने वाली 'अहं ब्रह्मास्मि' की भावना के समान 'ज्योतिर्मयोऽहं, आनन्दमयोऽहं, स्वस्थोऽहं, निर्विकारोऽहं, वीर्यवानऽहं-की भावना का उदय दिखाया जो आत्मा के विकास की अन्तिम सीढ़ी है। सप्तम प्रकरण में तो एक प्रकार से साधना से होने वाली फलश्रुति के समान जिन भावना का उदय और कायोत्सर्ग का विवेचन किया गया है। आचार्य तुलसी ने 'मनोनुशासनम्' की रचना कर जैन जगत् की एक अलौकिक योग दृष्टि का विकास किया है। आचार्य तुलसी का 'मनोऽनुशासनम्' उसी प्रकार जैनयोग का सूत्रग्रन्थ सिद्ध होगा जिस प्रकार वैदिक योगदर्शन का सूत्रग्रन्थ पतञ्जलि का योगसूत्र है। इन्होंने पतञ्जलि की शैली अपनायी, उनके विषय भी लिये परन्तु उसे अपनी दृष्टि से अपने क्रम से प्रस्तुत किया, एक तरह से उन्होंने योग को जैन तत्त्व-मीमांसा के आलोक में देखकर तदनुरूप व्यवस्थित किया है, जो जैन एवं जैनेतर सभी साधकों के लिये उपयोगी है। आचार्य तुलसी पर हेमचन्द्राचार्य और श्री नागसेन मुनि आदि का पर्याप्त प्रभाव परिलक्षित होता है फिर भी उनकी अपनी सर्वातिशायी शेमुषीदृष्टि और सर्वकषाप्रज्ञा ने 'मनोऽनुशासनम्' को एक नवीन रूप प्रदान किया है। सन्दर्भ-सूची १. संस्कृत-हिन्दी-शब्दकोष, वामनशिवराम आप्टे, पृ. १०९५। २. पुष्करमुनि अभिनन्दन ग्रन्थ, जमनालाल जैन, जैन साधना का रहस्य, पृ. ४१७-४१९। ३. प्राणायाम: प्रत्याहारोः ध्यानं धारणा तर्कः समाधि षडंग इत्युच्यते, ६/१८। ४. यमनियमासनप्रणायामप्रत्याहार धारणाध्यानसमाधयोऽष्टांगानि। योगसूत्र-२/२९। ५. उत्तराध्ययनसूत्र, २८/२। ६. मनोऽनुशासनम्, आचार्य तुलसी, पृ. १४। ७. मिता तारा बाला स्थिरा कान्ता प्रभा परा। नमामि योगदृष्टिनां लक्षणं च निबोधतः।। (योगदृष्टिसमुच्चयः-१४)
SR No.525071
Book TitleSramana 2010 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size20 MB
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