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________________ ४६ : श्रमण, वर्ष ६०-६१, अंक ४, १ / अक्टू.-दिसम्बर ०९-जन.-मार्च-१० है। जहाँ सभी वेदनाओं के विस्मृत हो जाने के फलस्वरूप चित्त में अलौकिक आनन्द की अनुभूति होती है। यह सामर्थ्य सौन्दर्य में है। यही बौद्ध परम्परा में अभिव्यक्त हुआ है। जहाँ शाक्य मुनि का वैयक्तिक दुःख, सांसारिक दुःख और उनकी अपने प्रति भावुकतापूर्ण करुणा, जगत् के लिए तीव्र करुणा के रूप में, मानव और सनातन सत्य के रूप में, अभिव्यक्त ही नहीं हुई है, बल्कि बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक सौन्दर्य और इसके गम्भीरतम अर्थ की सत्योद्भासक निरूपणा भी हुई है। । ध्यातव्य है कि मौर्य शासक अशोक, गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त, कनिष्क और हर्ष के राजकीय संरक्षण में गौतम बुद्ध के अध्यात्म-सौन्दर्यात्मक सत्य के प्रस्फुटन का जो भी माध्यम-वास्तुकला, मूर्तिकला, चित्रकला आदि के रूप में अंगीकार किया गया, इसका प्रभाव वर्णन करने की अपेक्षा अनुभव करने की वस्तु है। इसमें प्रस्फुटित जीवन अन्तरात्मा का जीवन है न कि प्राण-सत्ता और शरीर का जीवन। हाँ, वह एक आकार और सहायक संकेत के रूप में वहाँ अवश्य विद्यमान हैं, क्योंकि शाक्य मुनि के सौन्दर्य का लक्ष्य है-जीवन और प्रकृति चित्रण द्वारा (प्रथम आर्यसत्य) सत्ता की व्याख्या या बोधिमूलक अभिव्यक्त करना। जो हमारे भीतर होने वाले अन्तर्गान और साक्षात्कार के लिए ही गोचर, ज्ञेय और निकटस्थ है। बौद्ध परम्परा का सौन्दर्य-सूत्र है-'एहिपस्सिको' अर्थात् सबसे कहता है 'आओ और देखो'। दूसरे शब्दों में-'सबको उजाला करे, आप उजाला होय। यह विधि पीछे की तरफ किसी ऐसी वस्तु की ओर जाती है, जो आदि रूप से प्राचीन है और पुनः वह आगे किसी ऐसी वस्तु की ओर बढ़ती है जो भविष्य से सम्बन्ध रखती है। ऐसी सौन्दर्यानुभूति और सौन्दर्याभिरुचि का बोध अजन्ता की गुफाओं में प्रस्फुटित अनेक विशेष आकृतियों में होता है, जिसके कारण यह विश्व के समस्त भागों के सौन्दर्य प्रेमियों के लिए तीर्थस्थल बन गई है। जिसकी विषयवस्तु केवल धार्मिक ही नहीं, प्रत्युत पृथ्वी, जल, चट्टानें, वनस्पति, पशु-पक्षी और मानव भी हैं। जिसमें सौन्दर्य-प्रस्फुटन चाहे किसी भी माध्यम से (भास्कर, तक्षण, चित्र) से क्यों न हुआ हो, वह उस आध्यात्मिक सौन्दर्य को प्रदीप्त करने में समर्थ है। उदाहरणार्थ-अजन्ता गुफा संख्या-१६ के 'मृत्यु-शैय्या पर राजकुमारी' नामक दृश्य (षड्यन्त्र जातक कथा प्रतिनिधित्व) करुणा, संवेदनशीलता और वास्तविकता की अभिव्यक्ति का हृदयस्पर्शी चित्रण है। बौद्ध-परम्परा का विश्वविश्रुत आध्यात्मिक सारतत्त्व अजन्ता का 'महाभिनिष्क्रमण' नामक कृति दुःख और गम्भीर करुणा के भाव की अभिव्यक्ति में अनुपम है, जिसके सौन्दर्य विषयक भारतीय हेतु को समझने में अनभिज्ञ और
SR No.525071
Book TitleSramana 2010 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size20 MB
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