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________________ ३० : श्रमण, वर्ष ६०-६१, अंक ४, १ / अक्टू.-दिसम्बर ०९-जन.-मार्च-१० ३१. नमिजिनस्तवन, आनंदघन ग्रन्थावली, श्री जैन श्रेयस्कर मण्डल, मेहसाणा (१९५७)। ३२. यशस्तिलक चम्पू, सोमदेवसूरि, निर्णय सागर प्रेस, बाम्बे, पेज-८३७। ३३. नियमसार, कुन्दकुन्द, १५५, द सेन्ट्रल जैन पब्लिशिंग हाऊस, लखनऊ, १९३७। ३४. योगदृष्टिसमुच्चय, हरिभद्र, एल.डी. इन्स्टीट्यूट, अहमदाबाद, १९७०। ३५. सामायिक पाठ-१, अमितगति, सामायिकसूत्र में प्रकाशित, सन्मति ज्ञानपीठ, आगरा। टमाटर एवं आलू मांसाहारी पौधे - टमाटर एवं आलू मांसाहारी पौधे हैं यह जानकर किसे आश्चर्य नहीं होगा। वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध कर दिया है कि टमाटर एवं आलू के पौधे अपने पोषण हेतु जमीन में रहने वाले छोटे-बडें कीड़ों को अपने गिरफ्त में लेकर ही अपनी क्षुधापूर्ति करते हैं। "रॉयल बोटानिकल गार्डन व्यू' एवं “न्यू मेरी विश्वविद्यालय'- लन्दन के अनुसंधानकर्ताओं ने यह सिद्ध कर दिया है कि टमाटर एवं आलू के पौधे अपने जड़ों में विद्यमान कोशिकाओं की सहायता से अपने आस-पास में में रहने वाले छोटे-बड़े कीड़ों को अपने गिरफ्त में लेकर ही अपनी क्षुधापूर्ति करते हैं तथा उन्हें आवश्यक तत्त्व इन्ही कीड़ों से प्राप्त होता है। “रॉयल बोटानिकल गार्डन व्यू" एवं "न्यू मेरी विश्वविद्यालय'- लन्दन के वैज्ञानिक मारक चेस ने बताया कि पहले यह समझा जाता था कि केवल जंगल में रहने वाले पौधे ही मांसाहारी होते हैं लेकिन इस अनुसंधान से यह सिद्ध हो गया कि टमाटर एवं आलू के पौधे भी मांसाहार का सेवन करते हैं। इकोनामिक टाइम से साभार एन. सुगालचन्द जैन, चेन्नई
SR No.525071
Book TitleSramana 2010 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size20 MB
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