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जैनधर्म में धार्मिक-सहिष्णुता की स्थापना के मूल आधार : २९
११. उत्तराध्ययनसूत्र, ३६/४९। १२. डॉ. सागरमल जैन, जैन, बौद्ध और गीता के आचार दर्शनों का तुलनात्मक
अध्ययन, पेज-५, भाग-२, प्रथम संस्करण। १३. आचारांगसूत्र, १/४२। १४. उपदेशतरंगिणी, आचार्य हरिभद्र, भुराभाई हर्षचन्द्र, वाराणसी, वि.सं. २४३७,
१/८, पेज-९८। १५. सन्मतितर्क प्रकरण, २८, सिद्धसेन, ज्ञानोदय ट्रस्ट, अहमदाबाद, १९६३। १६. अध्यात्मोपनिषद्, यशोविजयजी श्री जैनग्रन्थ प्रकाशनसभा, भावनगर, प्रथम
संस्करण, विक्रम, १९६५। १७. व्याख्याप्रज्ञप्ति, श्री महावीर जैन विद्यालय, बाम्बे, १/१। १८. योगदृष्टिसमुच्चय, हरिभद्र, लालभाई-दलपतभाई, भारतीय संस्कृति मन्दिर,
अहमदाबाद, प्रथम संस्करण, १९७०, १३०। १९. लोकतत्त्वनिर्णय, हरिभद्र, श्री जैन ग्रन्थ प्रकाशनसभा, अहमदाबाद, विक्रम,
१९९४, ४०। २०. महादेव स्तोत्र, ४४ (स्वाध्याय ग्रन्थ संग्रह में प्रकाशित)। २१. श्री महावीर जैन विद्यालय, बाम्बे, प्रथम संस्करण, १९६८, ७२, पेज-३०। २२. सूत्रकृतांग १/१/२/२३। २३. इसिभासियाई १/१, इसके अन्य अध्यायों के नाम भी देखें, सम्पादित, डॉ.
वाल्टर शुबिंग, एल.डी. इन्स्टीट्यूट ऑफ इण्डोलॉजी, अहमदाबाद, ९,
१९७४। २४. भगवतीसूत्र, २/१॥ २५. उत्तराध्ययनसूत्र, सन्मति/ज्ञानपीठ, आगरा, प्रथम संस्करण, २३/१६। २६. शास्त्रवार्तासमुच्चय, एल.डी. इन्स्टीट्यूट ऑफ इन्डोलॉजी, प्रथम संस्करण,
१९६९/६/४६४,६५,६७। २७. वही, ३/२०७ और ३/२३७ २८. जैन शिलालेख संग्रह, भाग-३, ‘इन्ट्रोडक्शन' -जी.सी. चौधरी, इसके
अतिरिक्त इस पुस्तक के भाग-१,२ व ३ के १८१, २४९, ३१५, ३३२,
३३३, ३५६, ५०७, ६४९ तथा ७१० न. के शिलालेख भी देखें। २९. जैन शिलालेख संग्रह, भाग-३, ‘इन्ट्रोडक्शन'-जी.सी. चौधरी, इसके
अतिरिक्त इस पुस्तक के भाग-१, २ व ३ के १८१, २४९, ३१५, ३३२,
३३३, ३५६, ५०७ तथा ७१० नम्बरों के शिलालेख भी देखें। ३०. सन्मतितर्क-प्रकरण, ज्ञानोदय, ट्रस्ट, अहमदाबाद, १९६३, ३/६९।