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________________ वैताढ्य पर्वत के ऊपर कुंजरावर्त्त नगर में उत्पन्न हुई। गाहा : खयरस्स अमियगइणो पियाए भज्जाए चित्तमालाए । कुच्छीए संभूया पिय-धूया कणगमालत्ति ।। २३६।। संस्कृत छाया : खचरस्यामितगतेः प्रियाया भार्यायाचित्रमालायाः । कुक्षौ सम्भूता प्रियदुहिता कनकमालेति ।। २३६ ।। गुजराती अनुवाद : अमितगति विद्याधरनी चित्रमाला नामनी प्रिय पत्नीनी कुक्षीमां कनकम्माला नामनी प्रिय पुत्री थई। हिन्दी अनुवाद : अमितगति विद्याधर की चित्रमाला नाम की प्रिय पत्नी की कोख से कनकमाला नाम की प्रिय पुत्री हुई। (पूर्वना रागर्नु आवं परिणाम) गाहा : भो चित्तवेग! पुव्विं तुन्भं जो आसि राग-संबंधो। सामन्नमुवगयाणवि तस्स फलं एरिसं जायं ।। २३७।। संस्कृत छाया : भो! चित्रवेग! पूर्व युवयो र्य आसीद् रागसम्बन्यः । श्रामण्यमुपगतयोरपि तस्य फलमीदृशं जातम् ।। २३७।। गुजराती अनुवाद : हे चित्रवेग! पूर्वभवमां श्रमणपणुं पामवा छतां पण तमारा बलेनो जे परस्पर राग संबंध हतो तेनुं आवं फल मल्यु। हिन्दी अनुवाद : हे चित्रवेग! पूर्वभव में श्रमणत्व प्राप्त करके भी तुम दोनों का जो परस्पर राग सम्बन्ध था, उसका यह फल मिला। 608
SR No.525071
Book TitleSramana 2010 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size20 MB
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