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________________ हिन्दी अनुवाद : दक्षिण श्रेणी में मनोहर रत्नसंचय नामक उत्तम नगरी में बकुलवती से पवनगति नाम का विद्याधर पुत्र हुआ। गाहा : एवं च ठिए जो धणवाहण-जीवो देवो विज्जुप्पहो य दिय-लोए । सो य तुम इह सुंदर! उप्पन्नो चित्तवेगोत्ति ।। २३४।। संस्कृत छाया : एवं च स्थिते यो धनवाहनजीवो देवो विद्युत्प्रभश्च दिवलोके । स च त्वमिह सुन्दर! उत्पन्नचित्रवेग इति ।। २३४।। गुजराती अनुवाद :____ आवी परिस्थिति थये छते देवलोकमां धनवाहननो जीव जे विद्युत्प्रय देव हतो हे सुंदर! ते ज तुं अहीं चित्रवेग तरीके उत्पन्न थयो छ। हिन्दी अनुवाद : ऐसी परिस्थिति होने पर भी देवलोक में धनवाहन का जीव, जो विद्युत्प्रभ जीव था, हे सुन्दर! वही तूं यहाँ चित्रवेग के रूप में उत्पन्न हुआ है। (कुंजरावर्तमां-चंद्रलेखा देवीनो कनकमाला रूपे जन्म) गाहा : देवीवि चंदरेहा तत्तो आउक्खए चुया संती। उप्पन्ना वेयड्डे नयरे सिरि-कुंजरावत्ते ।। २३५।। संस्कृत छाया : देव्यपि चन्द्रलेखा तत आयुः क्षये च्युता सति । उत्पन्ना वैताब्ये नगरे श्रीकुञ्जरावर्ते ।। २३५।। गुजराती अनुवाद : त्यार पछी चंदलेखा देवी पण आयु पूर्ण थये छते त्याथीं च्यवेली वैताढ्य पर्वत उपर कुंजरावर्त नगरमा उत्पन्न थई। हिन्दी अनुवाद : उसके बाद चन्द्रलेखा देवी भी आयु पूर्ण होने के बाद वहाँ से च्यवन कर 607
SR No.525071
Book TitleSramana 2010 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size20 MB
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