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________________ गुजराती अनुवाद : हवे एक ज विमानमां दिव्य सुखनो अनुभव करता तेओ सर्वेनी परस्पर गाढ़ प्रीति हती। हिन्दी अनुवाद : उसके बाद एक ही विमान में दिव्य सुख का अनुभव करते हुए उन सबों में परस्पर प्रगाढ़ प्रेम था। गाहा : पलिओवमाणि अट्ठ उ दिव्व-सुहं तत्थ अणुहवेऊणं । देवो विज्जुप्पहो सो चइऊण इमम्मि वेयड्ढे ।। २३२।। संस्कृत छाया : पल्योपमान्यष्टौ तु दिव्यसुखं तत्रानुभूय । देवो विद्युत्प्रभः स च्युत्वा अस्मिन् वैताड्ये ।। २३२।। गुजराती अनुवाद : त्यां आठ पल्योपम देवलोकना दिव्य सुखनो अनुभव करीने विद्युत्प्रय देव च्यवीने आ वैताढ्य पर्वतनीहिन्दी अनुवाद : वहाँ आठ पल्योपम देवलोक के दिव्य सुखों का अनुभव कर विद्युत्प्रभ देव च्यवन कर इस वैताढ्य पर्वत की (विद्युत्प्रभदेवनो चित्रवेग रूपे जन्म) गाहा: दक्खिण-सेढीइ पुरे रमणीए रयणसंचए पवरे । पवणगइ-खयर-पुत्तो उप्पन्नो बउलवइयाए ।। २३३।। संस्कृत छाया : दक्षिणश्रेण्यां पुरे रमणीये रत्नसञ्चये प्रवरे । पवनगतिखचरपुत्र उत्पन्नो बकुलवत्याम् ।। २३३।। गुजराती अनुवाद : दक्षिण श्रेणीमां मनोहर स्वी रत्नसंचय नामना उत्तम नगरीमां बकुलवतीने विषे पवनगति नो विद्याधर पुत्र थयो। 606
SR No.525071
Book TitleSramana 2010 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size20 MB
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