SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 255
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हिन्दी अनुवाद : हमारी वह नगरी कहाँ है? वह वैभव, वे अलंकार कहाँ हैं? हम किस प्रकार धूल से धूसरित हो गए हैं? गाहा : दोन्निवि गहिय-वयाओ कत्थ व भगिणीओ मज्झ इहइं तु? । ता नूण इंदयालं एवं अहवावि सुमिणंति ।। २०८।। संस्कृत छाया : द्वेऽपि गृहीत-व्रते कुत्र वा भगिन्यौ ममेह तु? । तस्माद् नूनं इन्द्रजालमेत-दथवाऽपि स्वप्नमिति ।। २०८।। गुजराती अनुवाद : तेमज दीक्षित थयेली आ मारी चंने थगिनीओ अहीं क्याथी? माटे जरूर आ इंद्रजाल अथवा स्वप्न छे' हिन्दी अनुवाद : तथा दीक्षित हुई ये मेरी दोनों बहनें यहाँ कैसे? अत: अवश्य ही कोई इन्द्रजाल है या स्वप्न है। (वसुमतीनो खुलासो) गाहा: तत्तो य वसुमईए कहियं उम्माय-कारणं सव्वं । जाव य गुरु-माहप्पा नट्ठो तुम्हाण उम्माओ ।।२०९।। संस्कृत छाया : ततश्च वशुमत्या कथितमुन्माद-कारणं सर्वम् । यावच्च गुरु माहात्म्यान्नष्टो युवयोरुन्मादः ।। २०९।। गुजराती अनुवाद : त्यारबाद वसुमती वडे उन्मादनुं सर्व कारण तथा गुरु महाराजना प्रध्यावथी तमारा बनेनो उन्माद नष्ट थयो त्यां सुधीनो सघळो वृत्तांत जणावायो। हिन्दी अनुवाद : उसके बाद वसुमती के द्वारा उन्माद का सारा कारण तथा गुरु महाराज के प्रभाव से तुम दोनों का उन्माद नष्ट हुआ है, वहाँ तक का सारा वृत्तान्त बतलाया। 596
SR No.525071
Book TitleSramana 2010 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy