SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 254
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गुजराती अनुवाद : त्यारे गुरु महाराज वडे ते बनेने मतिमोहनो नाश करवामां बलवान एवं प्रतिचूर्ण अपायुं, जेथी तेओं बने पण स्वस्थ-चित्तवाला थया। हिन्दी अनुवाद : तब गुरु महाराज के द्वारा उन दोनों के मतिमोह को नाश करने में बलवान प्रतिचूर्ण दिया गया, जिससे वे दोनों भी स्वस्थचित्त वाले हो गए। (सुलोचना का विस्मय) गाहा : दठूण भगिणि-जुयलं सुलोयणा विम्हिया इमं भणइ । किं नाम इमं सुमिणं किंवा मइ-विष्भमो एस? ।। २०६।। संस्कृत छाया : दृष्ट्वा भगिनी-युगलं सुलोचना विस्मिता इदं भणति । किं नाम इदं स्वप्नं किं वा मतिविभ्रम एषः? ।। २०६।।। गुजराती अनुवाद : त्यारपछी सुलोचना पोतानी बने बहेनोने जोइने आश्चर्य पामेली आ प्रमाणे कहे छे, 'अरे! शुं आ स्वप्न छे के आ मारी बुद्धिनो विभ्रम छे? हिन्दी अनुवाद : उसके बाद सुलोचना अपनी दोनों बहनों को देखकर आश्चर्यचकित हो कर इस प्रकार कहती है, 'अरे! क्या यह स्वप्न है या यह मेरी बुद्धि का विभ्रम है'? गाहा : सा कत्थ अम्ह नयरी सा य विभूई य ते अलंकारा । कह धूलि-धूसराइं इह म्हि (म्हो?) संपावियाई ति? ।। २०७।। संस्कृत छाया : सा कुत्रावयो नगरी सा च विभूतिश्च तेऽलङ्काराः । कथं धूलि-धूसरौ इह स्वः स्मप्रापितौ इति ।। २०७।। गुजराती अनुवाद : ते अमारी नगरी क्या? ते वैभव-ते अलंकारो क्या? अग्मने धूल वडे खरडायेला केवी रीते बनावाया? 595
SR No.525071
Book TitleSramana 2010 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy