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________________ संस्कृत छाया : ततस्तया भणितं भगिन्याः सुलोचनाया अनुहरति । आर्ये! एषा युवती ग्रह-गृहीत-नरस्य पार्श्वस्था ।।१९०।। गुजराती अनुवाद : त्यारबाद तेणीस वसुमतिने कडुं- हे आर्या! गांडाना पाशमा रहेली आ स्त्री आपणी चेन सुलोचना जेवी देखाय छ। हिन्दी अनुवाद : उसके बाद वसुमति ने कहा- 'हे आर्या! पागल के साथ स्थित यह स्त्री हमारी बहन सुलोचना जैसी लग रही है। (स्त्री, पोतानी बहेन सुलोचना होवानुं अनुमान) गाहा : भणियं च वसुमईए सुइरं निज्झाइऊण सविसायं । सच्चिय एसा अम्हं भगिणी ओ सुलोयणा नाम ।।१९१।. संस्कृत छाया : भणितञ्च वसुमत्या सुचिरं निध्याय सविषादम् । सा एव एषा आवयो भगिनी ओ! सुलोचना नाम ।। १९१।। गुजराती अनुवाद : त्यार पछी सारी रीते ध्यानपूर्वक जोइने खेद-पूर्वक वसुमती वडे कहेवायु- 'अरे! हा, सम्म ज छे, आ आपणी चेन सुलोचना ज छ। हिन्दी अनुवाद : उसके बाद भली-भांति ध्यानपूर्वक देखकर खेदपूर्वक वसुमती ने कहा'अरे! हाँ, ऐसा ही है, यह हमारी बहन सुलोचना ही है। (कनकरथ राजपुत्रनुं अकार्य) (सुलोचनानुं सुबंधु साथे लग्न) गाहा : परिणीया आसि पुरा सुबंधुणा महेलावइ-पुरीए । दिट्ठा कणगरहेणं कयाइ अह राय-उत्तेणं ।।१९२।। 588
SR No.525071
Book TitleSramana 2010 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size20 MB
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