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(स्त्री सहित उन्मत्त पुरुष- दर्शन) । गाहा :
दिट्ठो य ताहि एगो महिला-सहिओ नरो उ उम्मत्तो ।
धूलि-रय-धूसरंगो जर-चीवर-चीरियाइन्नो ।।१८८।। संस्कृत छाया :
दृष्टश्च तदा एको महिला-सहितो नरस्तून्मत्तः ।
धूलिरजोधूसराङ्गो जरच्चीवर-चीरिकाकीर्णः ।।१८८।। गुजराती अनुवाद :
त्यां धूलथी खवडायेला शरीरवालो, जर्जरित फाटला वस्यो अने कीडाथी युक्त उन्मत्त पुरुष ने स्त्री साथे जोयो। हिन्दी अनुवाद :
तब धूल से भरे शरीरवाले, जर्जरित फटे हुए वस्त्रों तथा कीड़ों से युक्त उन्मत्त पुरुष को स्त्री के साथ देखा। गाहा :
उग्गायंतो बहुहा नच्चंतो डिंभ-सत्य-परिकिन्नो ।
तं दट्ठमणंगवई सुइरं पुलएइ तं जुयलं ।।१८९।। संस्कृत छाया :
उद्गायन् बहुधा नृत्यन् डिम्भ-सार्थ-परिकीर्णः ।
तं दृष्ट्वाऽनङ्गवती सुचिरं पश्यति तद् युगलम् ।।१८९।। गुजराती अनुवाद :
ते पुरुष पागलनी जेम गातो हतो-नाचतो हतो ओ घणा बालकोथी परिवरेलो हतो, जे जोइने अनंगवती ते स्त्री पुरुषने लांचा समय सुधी जोई रही। हिन्दी अनुवाद :
वह पुरुष पागलों के समान गाता था, नाचता था और अनेक बालकों से घिरा हुआ था, यह देखकर अनंगवती बहुत देर तक उस स्त्री-पुरुष को देखती रही। गाहा :
तत्तो तीए भणियं भगिणीए सुलोयणाए अणुहरइ । अज्जो! एसा जुवई गह-गहिय-नरस्स पासत्था ।।१९०।।
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