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हिन्दी अनुवाद :
निष्पाप दीक्षा को ग्रहण करके भी दुष्ट राग में आसक्त तथा पुण्यरहित मैं दीर्घ संसार को प्राप्त करूँगा। गाहा :
हा जीव! पाव! भमिहिसि नारय-तिरिएसु दीहरं कालं ।
अविसय-पयट्ट-रागो लखूणवि धम्ममणवज्जं ।। १८४।। संस्कृत छाया :
हा! जीव! पाप। भ्रमिष्यसि नारकतिर्यक्षु दीर्घ कालम् ।
अविषय-प्रवृत्तरागो लब्धवाऽपि धर्ममनवद्यम् ।।१८४।। गुजराती अनुवाद :
हे जीव! हे पापिष्ठ! निर्दोष स्वा धर्मने पामीने पण तुं विपरीत विषयमां (दर्शन मात्रमा) थयेला रागवालो लांचा काल सुधी नरक तिर्यंचगतिमां अमीश। हिन्दी अनुवाद :
हे जीव! हे पापिष्ठ! निर्दोष धर्म को प्राप्त कर तू विपरीत विषय में (दर्शन मात्र में) रागी होने के कारण लम्बे समय तक नरक-तिर्यंचगति में भ्रमण करोगे।
(राग न उतर्यो) गाहा :
एवं भावेंतस्सवि धणवाहण-साहुणो न उत्तरइ ।
अणुरागो तस्विसए तीएवि य तस्स उवरिम्मि ।। १८५।। संस्कृत छाया :
एवं भावयतोऽपि धनवाहनसाधो ऽवतरति ।
अनुरागस्तद्-विषये तस्या अपि च तस्योपरि ।। १८५।। गुजराती अनुवाद :
आ प्रमाणे भावना करवा छतां पण धनवाहन मुनिनो अनंगवती साध्वी ऊपर नो राग उतरतो नथी, तेमज ते साध्वीनो पण मुनि ऊपरनो राग उतरतो नथी। हिन्दी अनुवाद :
इस प्रकार भावना करते हुए भी धनवाहन मुनि का अनंगवती साध्वी पर से
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