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गुजराती अनुवाद :
आ प्रमाणे गुरु भगवंत वडे कहेवायुं त्यारे संविग्न मोक्षाभिलाषी धनवाहन मुनि आ प्रमाणे विचारे छे– 'अतिशय रागमां परवश तथा विवेक रहित मने धिक्कार छे! धिक्कार छे! हिन्दी अनुवाद :
इस प्रकार (जब) गुरु भगवन्त के द्वारा कहा गया, तब संविग्न मोक्षाभिलाषी धनवाहन मुनि इस प्रकार विचार करता है—'अतिशय राग में परवश तथा विवेक रहित मुझे धिक्कार है! धिक्कार है!' गाहा :
जो हं पणट्ठ-लज्जो गय-राय-पयम्मि वट्टमाणोवि ।
साहु-जण-निंदणिज्जं रागं न चएमि छड्डेउं ।। १८२।। संस्कृत छाया :
योऽहं प्रणष्टलज्जो गतरागपदे वर्तमानोऽपि ।
साधुजन-निन्दनीयं रागं न शक्नोमि मोक्तुम् ।।१८२।। गुजराती अनुवाद :
____ अरे हुं केवो निर्लज्ज छु! त्यागी तवो साधुव्रतमां होवा छतां पण साधु महात्माने निंदापात्र तेवा रागने छोडी शकतो नथी। हिन्दी अनुवाद :
अरे मैं कैसा निर्लज्ज हूँ! त्यागी साधुव्रत में होते हुए भी साधु महात्मा के निन्दापात्र राग को छोड़ नहीं सकता हूँ। गाहा :
लद्धणवि निरवज्ज पवज्जं दुट्ठ-राग-पडिबद्धो ।
होहामि पुन्न-रहिओ दीहर-संसार-आभागी ।।१८३।। संस्कृत छाया :
लब्वाऽपि निरवद्यां प्रव्रज्यां दुष्टराग-प्रतिबद्धः ।
भविष्यामि पुण्यरहितो दीर्घ-संसाराऽऽभागी ।। १८३।। गुजराती अनुवाद :
निष्पाप एवी दीक्षाने ग्रहण करीने पण दुष्ट रागमां आसक्त तथा पुण्यरहित स्वो हुँ दीर्घ संसारने पामीश।
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