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(उपदेश)
पोग्गल - परियट्टेहिं बहूहिं संपाविऊण मणुयत्तं ।
हारेसु मा मुहाए विसयामिस मोहिओ भद्द ! ।। १३५ ।।
गाहा :
संस्कृत छाया :
पुल परिवर्ते र्बहुभिः सम्प्राप्य मनुजत्वम् ।
हारय मा मुधा विषयाऽऽमिष मोहितो भद्र! ।। १३५ ।।
गुजराती अनुवाद :
हे भद्र! घणा पुदगल परावर्त पछी आ मनुष्यभवने पामीने विषयरूप मांसमां मोहित थयेलो मनुष्यभवने फोगट हारी न जा ।
हिन्दी अनुवाद :
भद्र! अनेक पुद्गल परावर्त के बाद इस मनुष्यभव को प्राप्त कर विषयरूपी आमिष में मोहित होकर इस मनुष्यभव को व्यर्थ में मत गँवाओ।
गाहा :
विसएस दढं सत्ता सत्ता बंधंति असुह कम्माई । तव्वसओ संसारे भमंति अहमासु जोणीसु ।। १३६ ।।
संस्कृत छाया :
विषयेषु दृढं सक्ताः सत्त्वा बध्नन्ति अशुभ कर्माणि । तद्वशतः संसारे भ्रमन्ति अधमासु योनिषु ।। १३६ ।।
गुजराती अनुवाद :
विषयमा अति लोलुप प्राणीओ अशुभ कर्मों ने बांधे छे तेना परिणामे संसारमां अधम (हलकी) योनियोमां परिभ्रमण करे छे।
हिन्दी अनुवाद :
विषय में अत्यन्त लोलुप प्राणी अशुभ कर्मों को बांधता है, उसके परिणामस्वरूप संसार में अधम योनियों में परिभ्रमण करता है।
(नरकनी वेदना)
गाहा :
बह-बंध - मारणाई नाणाविह वेयणाओ नरएसु । पाविंति विसय- गिद्धा दूसहाओ दीहरं कालं ।। १३७।।
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