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(गुरुद्वारा नाना भाईने बोलावQ) गाहा :
केणावि उवाएणं बोहेमी राग-मोहियं एयं ।
एवं विचिंतिऊणं गुरुणा सदाविओ भाया ।। १३३।। संस्कृत छाया :
केनापि उपायेन बोधयामि राग-मोहितमेनम् ।
एवं विचिन्त्य गुरुणा शब्दापितो भ्राता ।। १३३।। गुजराती अनुवाद :
कोइपण उपाय वडे रागमां मोहित आने समजावू सम्म विचाटीने गुरु वडे संसारी भाई बोलावायो। हिन्दी अनुवाद :
किसी भी उपाय के द्वारा राग में मोहित इसे समझाऊँ, यह विचार कर गुरु के द्वारा संसारी भाई को बुलवाया गया।
(धनवाहन- आगमन) गाहा :
महया उवरोहेणं समागओ वंदिऊण तो सूरिं ।
अवविठ्ठो से पुरओ अह सूरी भणिउमाढत्तो ।। १३४।। संस्कृत छाया :. महतोपरोधेन समागतो, वन्दित्वा ततः सूरिम् ।
उपविष्टस्तस्य पुरतोऽअथ सूरिणितुमारब्धः ।। १३४।। गुजराती अनुवाद :
खूब आयह वडे ते आव्यो, त्यारबाद सूरिभगवंतने वंदन कटीने तेमनी पासे घेठो, त्याटे सूटिस कहेवानो प्रारंभ कर्यो। हिन्दी अनुवाद :
बहुत आग्रह करने पर वह आया, उसके बाद सूरि भगवन्त को वन्दन कर उनके पास बैठा, तब सूरिजी ने कहना प्रारम्भ किया।
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