________________
महया विच्छड्डेणं परिणीया सोहणम्मि सा लग्गे । धणवाहणेण तत्तो आणीया नियय-नयरीए । । १२४।। (युग्मम्)
संस्कृत छाया :
श्री सुप्रतिष्ठनगरे दुहिता हरिदत्तप्रवरेभ्यस्य । विनयवती - संभूताऽनङ्गीवती नाम वरकन्या ।। १२३।। महता विच्छर्देन परिणीता शोभने सा लग्ने । धनवाहनेन तत आनीता निजकनगर्याम् ।। १२४ ।। (युग्मम्) गुजराती अनुवाद :
सुप्रतिष्ठ नगरमां हरिदत्तश्रेष्ठिनी विनयवती स्त्रीथी उत्पन्न थयेली अनंगवती नामनी श्रेष्ठ कन्याने- मोटा आडंबर वडे, श्रेष्ठ लग्नमां धनवाहन तेणीने परण्यो अने त्यारबाद पोतानी नगरीमां (तेने) लाव्यो ।
हिन्दी अनुवाद :
सुप्रतिष्ठ नगर में हरिदत्त श्रेष्ठि की विनयवती स्त्री से उत्पन्न अनंगवती नाम की श्रेष्ठ कन्या को - विशाल आडंबर से युक्त, श्रेष्ठ लग्न में धनवाहन ने उसके साथ विवाह किया और उसके बाद (उसे) अपनी नगरी में लाया ।
गाहा :
अह सो तीए रत्तो जोव्वण - वर- रूव - सोउमल्लेसु । गाढं विसयासत्तो गयंपि कालं न याणाई । । १२५ ।।
संस्कृत छाया :
अथ स तस्यां रक्तो यौवनवररूप - सौकुमार्येषु ।
गाढं विषयासक्तो गतमपि कालं न जानाति । । १२५ ।।
गुजराती अनुवाद :
हवे ते धनवाहन तेणीना यौवन अने श्रेष्ठरूप तथा सुकुमारतमां मुग्ध बनेलो अत्यंत विषयमां आसक्त थयेलो पसार थतां समयने पण जाणतो नथी । हिन्दी अनुवाद :
अब वह धनवाहन उसके यौवन और श्रेष्ठ रूप तथा कोमलता में मुग्ध बना हुआ विषय में अत्यन्त आसक्त हुआ व्यतीत होने वाले समय को भी नहीं जानता
था।
558