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________________ गुजराती अनुवाद : दूरथी वाहन मूकीने, उत्तरासंग (खेस) करीने, अण प्रदक्षिणा आपीने परम भक्ति वडे तेणे गुरु भगवंतने वंदन कर्यु। हिन्दी अनुवाद : दूर से ही वाहन छोड़कर, उत्तरासंग (चादर) धारण कर, तीन प्रदक्षिणा करके परम भक्ति के द्वारा उसने गुरु भगवन्त को वन्दन किया। (सूरि द्वारा धर्मकथा) गाहा : भीम-भवोयहि-निवडत-जंतु-संतरण-वर-तरंडम्मि । दिन्नम्मि धम्मलाभे गुरुणा, सेसे मुणी नमिउं ।।१०६।। उवविट्ठो सत्थाहो भहि-वढे पुर-जणेण संजुत्तो । सूरीवि मोक्ख-मग्गं जिण-धम्म कहिउमाढत्तो ।।१०७।। (युग्मम्) संस्कृत छाया : भीमभवोदधि-निपतङन्तु-संतरण-वर-तरण्डे । दत्ते धर्मलाभे गुरुणा शेषान् मुनीन् नत्वा ।।१०६।। उपविष्टः सार्थवाहो महीपृष्ठे पुरजनेन संयुक्तः । सूरिरपि मोक्षमार्ग जिनधर्मं कथयितुमारब्धः ।।१०७।। युग्मम्) गुजराती अनुवाद : भयंकर संसार-सागरमा डूबता प्राणीओने तारवामां श्रेष्ठ नौका सम्मान धर्मलाध्य गुरु भगवंते आप्यो त्यारे ते सार्थवाह अन्य मुनि भगवंतोने नमस्कार कटीने-नगरजन साथे भूमिपीठ उपर बेठो, आचार्य भगवंते पण मोक्षमार्गरूप जिनेश्वर भगवंते कहेल धर्म कहेवानो प्रारंभ कर्यो। हिन्दी अनुवाद : ___ भयंकर संसार-सागर में डूबते हुए प्राणियों को उबारने में श्रेष्ठ नौका के समान गुरु भगवन्त ने धर्मलाभ दिया, तब सार्थवाह अन्य मुनि भगवन्तों को नमस्कार करके नगरजन के साथ भूमि पर बैठा। आचार्य भगवन्त ने मोक्षमार्गरूप जिनेश्वर भगवन्त के द्वारा कथित धर्म को कहना प्रारम्भ किया। 550
SR No.525071
Book TitleSramana 2010 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size20 MB
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