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________________ संस्कृत छाया : धनवाहनाभिधानो द्वितीयः कालेन तस्याः सुतो जातः । सोऽपि खलु सुधर्म-नामा जातोऽथाष्टवार्षिकः ।।१०१।। गुजराती अनुवाद : त्यारबाद थोडा समय पछी ते दंपतीने धनवाहन नामनो चीजो पुत्र थयो, आ बाजु 'सुधर्म' पण आठ वर्षनो थयो। हिन्दी अनुवाद : उसके कुछ दिनों के बाद उस दम्पत्ति ने धनवाहन नामक दूसरे पुत्र को जन्म दिया, इधर सुधर्म भी आठ वर्ष का हो गया था। (सुदर्शनाचार्य- पदार्पण) गाहा: तीए य पुर-वरीए विहरंतो अन्नया समोयरिओ। समण-सय-सेविय-कमो सुदंसणो नाम आयरिओ ।। १०२।। संस्कृत छाया : तस्याञ्च पुरवयाँ विहरन्नन्यदा समवतीर्णः । श्रमण-शत-सेवित-क्रमः सुदर्शनो नामाऽऽचार्यः ।।१०२।। गुजराती अनुवाद : हवे कोई वखत ते नगरीमा विहार करतां सेंकडों साधभगवंतोथी सेवाता चरण कमलवाला 'सुदर्शन' नामना आचार्य भगवंत पधार्या। हिन्दी अनुवाद : फिर किसी समय उस नगर में विहार करते हुए सैकड़ों साधु भगवन्तों के द्वारा सेवित चरणकमल वाले 'सुदर्शन' नामक आचार्य भगवन्त पधारे। गाहा : अप्पडिबद्ध-विहारी चउदस-पुव्वी गुणाण आवासो। पुव्युत्तर-दिसि-भाए अवढिओ नंदणुज्जाणे ।।१०३।। संस्कृत छाया : अप्रतिबद्धविहारी चतुर्दशपूर्वी गुणानामावासः । पूर्वोत्तर-दिग्भागेऽवस्थितो नन्दनोद्याने ।।१०३।। 548
SR No.525071
Book TitleSramana 2010 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size20 MB
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