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संस्कृत छाया :
निर्जीताऽनङ्गरूपं तेजसा च दिनकरस्य सदृक्षम् ।
सौम्यं शशिबिम्बमिव जिनेन्द्र-धर्म-मिव सुखजनकम् ।। ९९ ।।
गुजराती अनुवाद :
ते पुत्र कामदेवथी अधिक रूपवान, तेज वडे सूर्य समान, चंद्रमा चिंबनी जेम मनोहर, अ जैन धर्मनीं जेम सुखने उत्पन्न करनारो हतो ।
हिन्दी अनुवाद :
वह पुत्र कामदेव से भी अधिक रूपवान, तेज में सूर्य के समान, चन्द्रमा के बिम्ब के समान मनोहर तथा जैनधर्म के समान सुख को उत्पन्न करनेवाला था । (मोटा पुत्र सुधर्मनो जन्म)
गाहा :
अन्नं च
अह तस्स बारसाहे वोलीणे नियय-जणणि जणएहिं । गरुय - पमोएण कयं विहिणा नामं सुघम्मोत्ति ।। १०० ।।
संस्कृत छाया :
अन्यच्च
अथ तस्य द्वादशाह्नि गते निजकजननीजनकाभ्याम् । गुरुकप्रमोदेन कृतं विधिना नाम सुधर्म इति । । १००।
गुजराती अनुवाद :
हवे चार दिवस पूर्ण थये छते माता-पिता वडे अत्यंत आनंदपूर्वक विधि वडे 'सुधर्म' प्रमाणे तेनु नाम रखायुं ।
हिन्दी अनुवाद :
बारह दिन पूरा होने के बाद माता-पिता के द्वारा अत्यन्त आनन्द से विधिपूर्वक उसका 'सुधर्म' नामकरण किया गया।
(धनवाहननो जन्म)
गाहा :
घणवाहणाभिहाणो बीओ कालेण से सुओ जाओ । सोवि हु सुघम्म - नामो जाओ अह अट्ठ- वारिसओ ।। १०१ । ।
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