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________________ गाहा : विमलं सावग-धम्म सम्मं अह ताण पालयंताणं । वच्चंति वासराइं सुसाहु-जण-भत्ति-जुत्ताणं ।।९७।। संस्कृत छाया : विमलं श्रावकधर्म सम्यगथ तयोः पालयतोः । व्रजन्ति वासराणि सुसाधुजन-भक्तियुक्तयोः ।। ९७।। गुजराती अनुवाद : निर्मल श्रावकधर्मनुं सारी रीते पालन करतां तथा श्रेष्ठ साधु भगवंतोनी ध्यक्ति करतां ते बसेना दिवसो पसार थता हता । हिन्दी अनुवाद : निर्मल श्रावकधर्म का भली-भांति पालन करते हुए तथा श्रेष्ठ साधु भगवन्तों की भक्ति करते हुए उन दोनों के दिन व्यतीत हो रहे थे। गाहा: अह अन्नया कयाइवि पहाण-सुविणेहिं सूइयं तणयं । सा सुंदरी पसूया पभूय-सुह-लक्खणाइन्नं ।। ९८।। संस्कृत छाया : अथान्यदा कदाचिदपि प्रधान-स्वप्नैः सूचितं तनयम् । सा सुन्दरी प्रसूता प्रभूत-शुभ-लक्षणाऽऽकीर्णम् ।।१८।। गुजराती अनुवाद :___ हवे कोई वखत ते सुंदीर श्रेष्ठ स्वप्नो वडे सूचित, घणां शुभ लक्षणोथी युक्त पुत्रने जन्म आप्यो। हिन्दी अनुवाद : इस प्रकार किसी समय उस सुन्दरी ने श्रेष्ठ स्वप्नों के द्वारा सूचित, अनेक शुभ लक्षणों से युक्त पुत्र को जन्म दिया। गाहा : निज्जिय-अणंग-रुवं तेएण य दिणयरस्स सारिच्छं । सोमं ससि-बिंब पिव जिणिंद-धम्मं व सुह-जणयं ।। ९९।। 546
SR No.525071
Book TitleSramana 2010 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size20 MB
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