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हिन्दी अनुवाद :
उस नगरी में प्रसिद्ध, दाक्षिण्य और दया से युक्त, जैनधर्म में उद्यमी धनभूति नामक सार्थवाह रहता था। गाहा :
चंदोव्व कला-निलओ गयव्व निच्चं पयट्ट-वर दाणो ।
अणुयत्तिय-मित्तो वासरोव्व बुह-लोय-मण-इ8ो ।।९५।। संस्कृत छाया :
चन्द्र इव कला-निलयो गज इव नित्यं प्रवृत्त-वरदानः ।
अनुवर्तितमित्रो वासर इव बुधलोक-मन-इष्टः ।।१५।। गुजराती अनुवाद :
ते सार्थवाह चंद्रनी जेम कलानो निधान, हाथीनी जेन्म हमेशा (दानमद) दान देवामांतत्पर. हमेशां दिवसनी जेम मित्र (सूर्य) नो सत्कार करनार तथा पंडितोने आदरणीय हतो। (पंडितोना मनमां जेने स्थान छे तेवो) हिन्दी अनुवाद :
वह सार्थवाह चन्द्रमा के समान कला का निधान, हाथी के समान (दानमद) देने में तत्पर, हमेशा दिन के समान मित्र (सूर्य) का सत्कार करनेवाला तथा पण्डितों का आदरणीय था। (पण्डितों के मन में जिसका स्थान है, वैसा।) गाहा :
तस्स य पसंत-रूवा पइ-व्वया सच्च-सील-दय-जुत्ता ।
भज्जा सुंदर-देहा सुंदरि-नामा सुविक्खाया।.९६।। संस्कृत छाया :
तस्य च प्रशान्तरूपा पतिव्रता सत्यशीलदया युक्ता ।
भार्या सुन्दर देहा सुन्दरी-नाम्नी सुविख्याता ।।९६।। गुजराती अनुवाद :
अने तेने प्रशांत छप वाली, पतिव्रता, सत्यशील तथा दया-युक्त, सुंदर देहवाली, घणी प्रख्यात सुंदरी नामनी स्त्री हती। हिन्दी अनुवाद :
और उसे प्रशान्त रूपवाली पतिव्रता, सत्यशील तथा दयायुक्त, सुन्दर शरीरवाली, अत्यन्त प्रसिद्ध, सुन्दरी नाम की स्त्री थी।
१. अनुवर्तित-सत्कृतमित्र ।
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