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________________ गुजराती अनुवाद :___ त्यारचाद देव कहे छे हे सुंदरः! कया कारणथी हुं अहीं आव्यो हतो, ते कहेवातु एक चित्ते सांधळ। हिन्दी अनुवाद : उसके बाद देव कहता है, हे स्तन! मैं किस कारण से यहाँ आया था, वह मैं कहता हूँ, ध्यान से सुन। गाहा : जंबुद्दीवे इहई एरवए अत्थि आरिए देसे। विजयवई नामेणं नयरी सुर-नयरि-संकासा ।।९३।। संस्कृत छाया : जम्बूद्वीपे इहैरवतेऽस्ति आर्यदेशे। विजयवती नामा नगरी सुरनगरी सड्काशा ।।९३।. गुजराती अनुवाद :_ आ जंबूद्वीपमां सेरवत क्षेत्रमां-आर्यदेश छे, तेमां देवोनी नगरी सन्मान विजयवती नामनी नगरी छ। हिन्दी अनुवाद : इस जंबूद्वीप में, ऐरावत क्षेत्र में, आर्यदेश है, उसमें देवों की नगरी के समान विजयवती नामक नगर है (धनभूति सार्थवाह) गाहा : तिएवि सुविक्खाओ धणभूई नाम आसि सत्थाहो । दक्खिन्न-दया-जुत्तो उज्जुत्तो जइण-धम्मम्मि ।। ९४।। संस्कृत छाया : तस्यामपि सुविख्यातो धनभूति माऽऽसीत् सार्थवाहः । दाक्षिण्य-दया-युक्त उद्युक्तो जैनधर्मे ।।१४।। गुजराती अनुवाद : ते नगरीमा प्रसिद्ध, दाक्षिण्य अने दयाथी युक्त, जैनधर्ममां उद्यमी स्वो धनथूति नामनो सार्थवाह रहेतो हतो। 544
SR No.525071
Book TitleSramana 2010 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size20 MB
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