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करती हुई मेरी बेचारी प्राणप्रिया को नभोवाहन ले गया, उसकी कैसी दशा होगी, वह इस समय जीवित है या नहीं ?
गाहा :
एवं च जाव साहइ सो खयरो मज्झ भद्द ! धणदेव ! | एत्थंतरम्मि निसुणसु जो वुत्तंतो तहिं जाओ ।। ८६ ।।
संस्कृत छाया :
एवञ्च यावत् कथयति स खचरो मम भद्र! धनदेव ! | अत्रान्तरे निःश्रुणु यो वृत्तान्तस्तत्र जातः ।। ८६ ।।
गुजराती अनुवाद :
आ प्रमाणे ते विद्याधर मने कहेतो हतो, तेटलामां हे भद्र! धनदेव ! जे वृत्तांत त्यां बन्यो ते तु सांभळ/
हिन्दी अनुवाद :
इस प्रकार वह विद्याधर मुझे कहता था, इतने में हे भद्र! धनदेव ! वहाँ जो घटना घटी, वह तुम सुनो।
(देवनुं आगमन)
गाहा :
एक्को कमल-दलऽच्छो पिहुवच्छो सुर-वरो तहिं सहसा । ओइन्नो गयणाओ उज्जोइंतो दिसा - वलयं ।। ८७ ।।
संस्कृत छाया :
एकः कमलदलाऽक्षः पृथुवक्षाः सुरवरस्तत्र सहसा । अवतीर्णो गगनादुद्योतमानो दिग्वलयम् ।। ८७ ।।
गुजराती अनुवाद :
कमलना पत्र समान नेत्रवालो, विशाल (छाती) वक्षस्थलवालो, दिग्मंडलने प्रकाशित करतो एक श्रेष्ठ देव आकाशमांथी अचानक नीचे उतर्यो ।
हिन्दी अनुवाद :
कमल के पत्र के समान नेत्रों वाला, विशाल (छाती) वक्षस्थल वाला, दिग्मंडल को प्रकाशित करता हुआ एक श्रेष्ठ देव आकाश से अचानक नीचे उतरा।
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