________________
गुजराती अनुवाद :
घडपण मरण-रोग अने इष्टना वियोगथी अरेला आ संसारमा प्राणीओने पोते चांघेला कर्मनां अनुसारे दुःख थाय छ। हिन्दी अनुवाद :
वृद्धावस्था, मृत्यु-रोग तथा इष्ट व्यक्ति के वियोग से भरे हुए इस संसार में प्राणियों को अपने द्वारा बांधे गए कर्मों के अनुसार दुःख प्राप्त होता है।
(चित्रवेगनी पीडा)
गाहा :
तो भणइ चित्तवेगो भद्द! विसाओ न कोवि मह अन्नो।
एकच्चिय मह चिंता कुणइ मणे दूसहं दुक्खं ।। ८४।। संस्कृत छाया :
ततो भणित चित्रवेगो भद्र! विषादो न कोऽपि ममान्यः । एकैव मम चिन्ता करोति मनसि दुःसहं दुःखम् ।।८४।।
(चित्रवेगने कनकमालानी चिंता) गाहा :
सा कह वरई होही नीया नहवाहणेण रुयमाणी ।
जीवइ व नवा इण्हि दर्दू मह तारिसमवत्थं? ।।८५।। संस्कृत छाया :
सा कथं वराकी भविष्यति नीता नभोवाहनेन रुदन्ती । जीवति वा न वा इदानीं दृष्ट्वा मम तादृशमवस्थाम ।।८५।।
(युग्मम्) गुजराती अनुवाद :
त्यारे चित्रवेग कहे छे. हे भद्र! मने चीजें कंइपण दुःख नथी, मात्र एक ज चिंता मनमा असह्य दुःख पेदा करे छे! मने तेवी अवस्थामा जोइने रुदन करती ते मारी बिचारी प्राणप्रियाने नभोवाहन लई गयो, तेनी केवी दशा हशे, ते अत्यारे जीवे छे के नहीं? हिन्दी अनुवाद :
तब चित्रवेग कहता है, 'हे भद्रा!' मुझे और कोई दु:ख नहीं है, मात्र एक ही चिन्ता मन में असह्य दुःख उत्पन्न करती है। मुझे ऐसी अवस्था में देखकर रुदन
१. तादृशाम्-तादृशीम् अपि भवेत् ।
540