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हिन्दी अनुवाद :
इस प्रकार उस चित्रवेग विद्याधर का वृत्तान्त सुनकर हे धनदेव ! तब मैंने अपने हृदय में (ऐसा ) विचार किया।
(विषयासक्तिथी बुद्धिमानोने पण आपत्तिओ)
गाहा :
पेच्छ नरा विबुहावि हु अणुराय परवसा विसय- गिद्धा । पाविंति आवयाओ विविहाओ एत्थ संसारे ।। ७३ ।।
संस्कृत छाया :
पश्यत नरा विबुधाऽपि खल्वनुराग परवशा विषयगृद्धाः । प्राप्नुवन्ति आपदो विविधा अत्र संसारे ।। ७३ ।।
गुजराती अनुवाद :
अरे जुओ! अनुरागमां परवश थयेला तथा विषयमा सक्त बुद्धिमानो पण आ संसारमां विविध आपतिओने प्राप्त करे छे।
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हिन्दी अनुवाद :
अरे देखो! अनुराग में परवश हुए तथा विषयों में आसक्त ऐसे बुद्धिमान भी इस संसार में विविध आपत्तियों को प्राप्त करते हैं।
(रागथी आ लोकमां पण आपत्ति)
गाहा :
अच्छउ ता पर लोगे इहेव पाविंति गरुय- दुक्खाई । राग - विमोहिय-चित्ता कज्जाकज्जं अयाणंता । । ७४ । । संस्कृत छाया :
आस्तां तावत् परलोके इहैव प्राप्नुवन्ति गुरुकदुःखानि । रागविमोहित-चित्ताः कार्याकार्यमजानन्तः ।। ७४ ।।
गुजराती अनुवाद :
परलोक तो दूर रहो पण आ लोकमां ज रागथी व्याकुल चित्तवाला तथा कार्य - अकार्यने नहीं जाणता प्राणीओ मोटी आपत्तिओने प्राप्त करे छे।
हिन्दी अनुवाद :
परलोक तो दूर की बात है, इस लोक में ही राग से
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'चित्तवाले तथा
व्याकुल