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गुजराती अनुवाद :
हुं पण त्यारपछी सोय करेली असह्य वेदनाथी कंपतो अने पत्नीना वियोगथी थयेला भाटे दुःख वडे तप्त ज्यां सुधी रह्यो...तेटलामा हे सुप्रतिष्ठ! तमे पण आ स्थानमां आव्या अने दिव्य मणिना पाणी द्वारा तमारा वडे हुं (वेदना) मुक्त करायो। हिन्दी अनुवाद :
मैं भी उसके बाद सर्पो के द्वारा दी गई असह्य वेदना से कांपता हुआ और अपनी पत्नी के वियोग से उत्पन्न दारुण दु:ख से संतप्त जब तक रहा... इतने में हे सुप्रतिष्ठ! आप भी इस स्थान पर आए और दिव्य मणि के पानी से आपके द्वारा मैं मुक्त किया गया। गाहा :
ता भो! तुमए दिन्नं मह जीयं एत्थ नत्थि संदेहो ।
मणिणो य पभावाओ न य डक्को दुट्ठ-सप्पेहिं ।।६९।। संस्कृत छाया :
तस्माद् भोस्त्वया दत्तं मम जीवितमत्र नास्ति सन्देहः ।
मणेच प्रभावान्न च दष्टो दुष्ट-सपैः ।।६९।। गुजराती अनुवाद :
तेथी तमारा वडे मने जीवितदान अपायुं छे, तेमां संदेह नथी, वळी मणिना प्रधावथी दुष्ट सर्पो वडे हुं डंसायो पण नहीं। हिन्दी अनुवाद :
इस प्रकार आपके द्वारा मुझे जीवनदान दिया गया है, इसमें सन्देह नहीं है, यहाँ तक कि मणि के प्रभाव से दुष्ट सर्यों के द्वारा मैं इंसा भी नहीं गया।
(प्रियंगुमञ्जरीना शोक, कारण)
गाहा:
अन्नह कह मह जीयंह हविज्ज गुरु-वेयणा-परद्धस्स ।
कीणास-वयण-सच्छह-भीसण-भुयगोह-गहियस्स? ।।७०।। संस्कृत छाया :
अन्यथा कथं मम जीवितं भवेद्गुरुवेदनापरद्धस्य ।
कीनाश-वदन-सच्छाय-भीषण-भुजगौघ-गृहीतस्य? ।।७०।। १. परद्धस्य (देश्य) पीड़िता
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