________________
हिन्दी अनुवाद :
उसके बाद सोचकर हे धनदेव! उसके सभी वचनों को सुनना मैंने प्रारम्भ किया, वह कहने लगा। गाहा :
भो सुप्पइट्ठ! एवं विलवंता बहुविहं सदुक्खत्ता ।
नहवाहणेण नीया मज्झ पिया कणगमालत्ति ।।६६।। संस्कृत छाया :
भो सुप्रतिष्ठ! एवं विलपन्ती बहुविधं सुदुःखार्ता ।
नभोवाहनेन नीता मम प्रिया कनकमालेति ।।६६।। गुजराती अनुवाद :
हे सुप्रतिष्ठ! आ प्रमाणे भारे दुःखथी पीडाती घणा प्रकारे विलाप करती मारी प्रिया कनकमाला नभोवाहन वडे लई जवाई। हिन्दी अनुवाद :
हे सुप्रतिष्ठ! इस प्रकार अत्यन्त दुःख से पीड़ित अनेक प्रकार के विलाप करती हुई मेरी प्रिया कनकमाला नभोवाहन के द्वारा ले जाई गई। (चन्द्रप्रभादेवीनुं च्यवन अने सुप्रतिष्ठ द्वारा चित्रवेगनी मुक्ति) गाहा :
अहयंपि तओ दुसह-विसहर-कय-वेयणाए वेवंतो। दइया-विओय-गुरु-दुक्ख-ताविओ जाव चिट्ठामि ।।६७।। भो सुप्पइट्ठ! ताव य तुमंपि इह आगमो पएसम्मि ।
तुमए मणि-नीरेणं एसो मेल्लाविओ अहयं ।।६८।। (युग्मम्) संस्कृत छाया :
अहकमपि ततो दुःसह-विषधर-कृत-वेदनया वेपमानः । दयितावियोग-गुरुदुःख-तापितो यावत् तिष्ठामि ।।६७।। भोः सुप्रतिष्ठ! तावच्च त्वमपि इहाऽऽगतः प्रदेशे। त्वया मणिनीरेण एष मोचितोऽहकम् ।। ६८॥ (युग्मम्)
532