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________________ गुजराती अनुवाद : त्यारपछी तरत ज पुरुषनो जे शब्द मारा वडे संभलायो ते शब्द एणीमां आसक्त वा नभोवाहन राजानो हो। हिन्दी अनुवाद : उसके बाद तुरन्त ही पुरुष के जो शब्द मेरे द्वारा सुने गए, वे शब्द उसके प्रति आसक्त नभोवाहन राजा के होंगे। गाहा : अहवा किं मह इमिणा विचिंतिएणं तु ताव निसुणेमि । जं किंचि कहइ एसो निय-चरियं चित्तवेगोत्ति ।। ६४।। संस्कृत छाया : अथवा किं ममानेन विचिन्तितेन तु तावन्निश्रुणोमि । यत्किञ्जित् कथयति एष निजचरित्रं चित्रवेग इति ।।६४।। गुजराती अनुवाद :___अथवा तो निरर्थक आ कल्पना करवा वडे मारे शृं? प्रथम आ चित्रवेग पोता, जे कई चरित्र कहे छे ते सांपर्छ। हिन्दी अनुवाद : अथवा तो इस निरर्थक कल्पना करने से मुझे क्या? पहले यह चित्रवेग अपना जो चरित्र कहता है, उसे सुनें। ___ (चित्रवेग द्वारा सुप्रतिष्ठने कहेवायेलु पोतानुं चरित्र) गाहा : एवं विचिंतिऊणं तत्तो घणदेव! सुणिउमाढत्तो । तव्वयणमहं सव्वं, अह सो एवं समुल्लवइ ।।६५।। संस्कृत छाया : एवं विचिन्त्य ततो धनदेव! श्रोतुमारब्धः । तद्वचनमहं सर्वमथ स एवं समुल्लपति ।।६५।। गुजराती अनुवाद : पछी र प्रमाणे विचारीने हे धनदेव! तेना सर्व वचन सांथलवा माटे में प्रारंभ कर्यो, हवे ते आ प्रमाणे चोले छे। 531
SR No.525071
Book TitleSramana 2010 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size20 MB
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