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________________ संस्कृत छाया : भो! भो! धनदेव! इदं श्रुत्वा खचरस्य भाषितं तस्य । अत्रान्तरे च मम एष विकल्पः समुत्पन्नः ।।६१।। गुजराती अनुवाद : स्टलीवारमा हे धनदेव! ते विद्याधर आ चोलेनु सांधळीने तुरंत मने एक विकल्प उत्पन्न थयो। हिन्दी अनुवाद : इतनी ही देर में हे धनदेव! उस विद्याधर के वचन सुनकर मेरे मन में तुरन्त ही एक विकल्प उत्पन्न हुआ। गाहा : महिला-पलाव-सद्दो पुव्विं जो आसि इह मए निसुओ। एय-दइयाए नूणं सो होही कणगमालाए ।।२।। संस्कृत छाया : महिला-प्रलाप-शब्दःपूर्वं य आसीदिह मया निःश्रुतः । एतद्दयिताया नूनं स भविष्यति कनकमालायाः ।।६२।। गुजराती अनुवाद : पहेला मारा वडे संधळायेलो जे स्वीना प्रलापनो शब्द हतो, ते शब्द सनी पत्नी कनकन्मालानो ज नक्की होवो जोइस। हिन्दी अनुवाद : पहले मेरे द्वारा सुने गए जो स्त्री प्रलाप के शब्द थे, वे शब्द निश्चित ही उसकी पत्नी कनकमाला के होने चाहिए। गाहा : तत्तो य पुरिस-सहो तयणंतरमेव जो मए निसुओ। नहवाहणस्स होही सो सद्दो एय-सत्तस्स ।।६३।। संस्कृत छाया : ततश्च पुरुष-शब्दस्तदनन्तरमेव यो मया निःश्रुतः । नभोवाहनस्य भविष्यति स शब्द एतत्-सक्तस्य ।।६३।। 530
SR No.525071
Book TitleSramana 2010 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size20 MB
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