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________________ १२ : श्रमण, वर्ष ६०-६१, अंक ४, १ / अक्टू.-दिसम्बर ०९-जन.-मार्च-१० कपड़े में भी विद्युत् आ जाती है। टैरेलिन पहनने वाले जानते हैं-विद्युत् के कारण शरीर पर के बाल कैसे तनकर खड़े हो जाते हैं, और टैरेलिन में से चमक भी खूब निकलती है। पर वह अग्नि नहीं विद्युत् है। विद्युत् से अग्नि तो लग जाती है न? कितने ही महानुभाव तर्क करते हैं कि बिजली से अग्नि तो लग जाती है। बिजली से आग लगने की अनेक घटनाएँ होती देखी गई हैं। उत्तर में कहना है कि बिजली से अग्नि प्रज्वलित हो जाती है, और वस्तु जल जाती है, यह बात सत्य है। परन्तु बिजली और बिजली से प्रज्वलित अग्नि, दोनों में अन्तर है। बिजली से आग भले ही लग जाए, पर बिजली स्वयं अग्नि नहीं है। अग्नि का क्या है? वह तो सूर्य के किरणों से भी लग जाती है। सूर्यकिरणों को जब अभिबिन्दु लैंस (Convergent Lens) में केन्द्रित कर लेते हैं, तो उसमें से अग्नि ज्वाला फूट पड़ती है। परन्तु सूर्यकिरणें स्वयं तो अग्नि नहीं हैं। यदि वे अग्नि हों तो फिर सूरज की धूप में संयमी मुनि कैसे खड़ा हो सकता है, कैसे धूप सेंक सकता है? 'तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासिं करेइ'। (भग. १५वाँ शतक) तारपीन या पेट्रोल आदि के भीगे कपड़े यथाप्रसंग अपने आप जलने लगते हैं। खुली हवा में रहने के कारण ऐसी वस्तुएँ पहले हवा का ऑक्सीजन से संयोग कराती हैं और उससे धीरे-धीरे ताप उत्पन्न होता रहता है। जब ताप बढ़ते-बढ़ते इतना बढ़ जाता है कि वह वस्तु के प्रदीपनांक (Ignition temperature) से अधिक हो जाता है, तब वस्तु स्वतः ही तेजी से जलने लगती है। तारपीन या पेट्रोल आदि में आग पकड़ने की यही विज्ञानसिद्ध प्रक्रिया है। परन्तु इसका यह अर्थ तो नहीं कि तारपीन तथा पेट्रोल आदि स्वयं अग्नि हैं। अरणी की लकड़ी या बाँस परस्पर घर्षण से जलने लगते हैं, तो क्या वे जलने से पूर्व भी साक्षात् अग्नि हैं? यदि हैं तो उन्हें फिर साधु कैसे छू सकते हैं? दो चार क्या, अनेक उदाहरण इस सम्बन्ध में दिए जा सकते हैं, जो प्रमाणित करते हैं कि बिजली से आग लग जाने पर भी बिजली स्वयं अग्नि नहीं है। उपसंहार उपर्युक्त विवेचन से यह स्पष्टतया सिद्ध हो जाता है कि विद्युत् अग्नि नहीं है। वह हमारी कल्पनाओं से भिन्न एक सर्वथा विलक्षण शक्ति विशेष है। विद्युत् तो हमारे शरीरों में भी है। हम उससे कहाँ तक बचेंगे? रूस के वैज्ञानिकों ने
SR No.525071
Book TitleSramana 2010 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size20 MB
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