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हिन्दी अनुवाद :
हे सुप्रतिष्ठ! इस प्रकार कहकर (क्रोधित) नभोवाहन के द्वारा अत्यन्त आग्रहपूर्वक नागिनी विद्या का आवाहन किया गया। गाहा :
भीसण-भुयगेहिं खणेण वेढियं उग्ग-विस-वियारेहिं ।
सव्वंगेसु बद्धो सराग-जीवोव्व कम्मेहिं ।। ५५।। संस्कृत छाया :
भीषण- भुजगैः क्षणेन वेष्टितमुग्रविषविकारैः ।
सर्वाङ्गेषु बद्धः सरागजीव इव कर्मभिः ।। गुजराती अनुवाद :
जेम रागी जीव कर्म वडे बंधाय तेम हुँ क्षणवारमा उयविषयी विकृतियुक्त सर्पो वडे सर्वांगोमां बंधायो ! हिन्दी अनुवाद :
जिस प्रकार रागी जीव कर्म के द्वारा बांधा जाता है, उसी प्रकार मैं क्षण में उग्र विष से विकृतियुक्त सॉं के द्वारा बांधा गया। गाहा :
तत्तो महंत-वियणा पाउन्भूया ममं तओ देहं ।
गयणाओ निवडिओ हं भुयंग-भारेण भूमीए ।।५६।। संस्कृत छाया :
ततो महत्वेदना प्रादुर्भूता माम् ततो देहे ।
गगनान्निपतितोऽहं भुजङ्गभारेण भूमौ ।। ५६।। गुजराती अनुवाद :
त्यारपछी (ते बंधनथी) मने शरीरमा धारे वेदना उत्पन्न थवा मांडी, तेमज सोनां धार वडे हुं गगनमाथी पृथ्वी पर पडयो। हिन्दी अनुवाद :
उसके बाद (उस बन्धन से) मेरे शरीर में भयंकर वेदना उत्पन्न होने लगी, साथ ही सो के भार से मैं आकाश से पृथ्वी पर गिर पड़ा।
१. ८।३।१३७ सूत्रथी सप्तमीना स्थाने द्वितीया छ।
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