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________________ गुजराती अनुवाद : तेथी हे मूर्ख! जो तुं हवे पातालमां पण पेसीश तो पण माराथी छूटीश नहीं अथवा ( मयूर ) मोर पण त्रीजीवार उडतो पकडाय छे। हिन्दी अनुवाद : अतः हे मूर्ख! यदि तू पाताल में भी चले जाओगे तो भी मुझसे बच नहीं सकोगे, अथवा मयूर भी तीसरी उड़ान में पकड़ में आ जाता है। गाहा : रे खयराहम ! इहि कत्तो मह जासि दिट्ठ- पह- पडिओ ? । दुह - मच्चए एसो मारेमि तुमं न संदेहो ।। ५३ ।। संस्कृत छाया : रे खचराधम ! इदानीं कुतो मम यासि दृष्टिपथपतितः ? । दुःखमृत्योरेष मारयामि त्वां न सन्देहः ।। ५३ ।। गुजराती अनुवाद : हे खेचराधम ! हवे मारी नजरमां आवेला तु अत्यारे क्यां जईश ? तने रीबावीने मारी तेमां शंका नथी । हिन्दी अनुवाद : हे अधम खेचर! अब मेरी नजर में आकर तुम कहाँ जाओगे? मैं तुझे रुला - रुलाकर मारूँगा, इसमें कोई शंका नहीं है । ( नागिनी विद्यानो प्रयोग ) गाहा : भो सुप्पट्ट ! एवं भणिऊणं गरुय-अभिनिवेसेणं । नहवाहणेण नागिणि-विज्जा आवाहिया तत्तो ।। ५४ । । संस्कृत छाया : भो! सुप्रतिष्ठ! एवं भणित्वा गुरुकाभिनिवेशेन । नभोवाहनेन नागिनीविद्या आवाहिता ततः । । ५४।। गुजराती अनुवाद : हे सुप्रतिष्ठ! आ प्रमाणे कहीने (रोषवाला) नभोवाहन वडे अति आग्रहपूर्वक नागिनी विद्यानुं आह्वान करायुं (अर्थात् बोलावाई)। 526
SR No.525071
Book TitleSramana 2010 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size20 MB
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