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गाहा:
__ मह मंतस्स पभावा विज्जाए वावि ओसहीए वा ।
एमाई सत्थाई निहय-पयावाई जायाई ।।४८।। संस्कृत छाया :
मम मन्त्रस्य प्रभावाद् विद्यया वाऽऽपि औषध्या वा।
एवमादीनि शस्त्राणि निहत-प्रतापानि जातानि ।। ४८।। गुजराती अनुवाद :
मारा मंचना प्रभावथी, विद्या के औषधिना प्रध्यावथी आ सर्व शस्यो हणायेला प्रध्याववाला थया। हिन्दी अनुवाद :
मेरे मंत्र के प्रभाव से, विद्या या औषधि के प्रभाव से ये सारे शस्त्र हत प्रभाववाले हुए। गाहा :
जओ
मंतेण व तंतेण व हंतुं सक्कंति नेव एयाई ।
किंतु निसुणेसि कारणमेतेहिं जं न निहओ तं ।। ४९।। संस्कृत छाया :
यतः मन्त्रेण वा तन्त्रेण वा हन्तुं शक्नुवन्ति नैवेतानि ।
किन्तु निश्शुणोषि कारणमेतैर्यन्न निहतस्त्वम् ।।४९।। गुजराती अनुवाद :
कोई मंत्र वडे के तंत्र वडे आ मारा अमोघ शस्त्रोने हणवा कोई शक्तिमान नथी, परंतु आ मारा शस्त्रोस जे तने न हण्यो तेनुं कारण सांधळ... हिन्दी अनुवाद :
किसी मन्त्र या तन्त्र के द्वारा मेरे इन अमोघ शस्त्रों को असफल करने के लिए कोई भी समर्थ नहीं है, परन्तु मेरे ये शस्त्र तुम्हें नहीं मार सकें, इसका कारण सुन...
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