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________________ गुजराती अनुवाद : अने वली उछळता अग्निनां कणियावाळु, विस्तृत हजारो ज्वालाथी व्याप्त, अति भयंकर एवं आग्नेय शस्त्र मारा वध माटे तेणे छोडयुं । हिन्दी अनुवाद : और उछलती हुई अग्नि की चिनगारियों वाले, विस्तृत हजारों ज्वालाओं से व्याप्त, अति भयंकर ऐसा आग्नेय शस्त्र मेरे वध के लिए उसने छोड़े। ( मणिना प्रभावे चित्रवेग नी सलामती) गाहा : तंपि हु मह आसन्ने मणि-प्पभावाओ होउमसमत्थं । पासे संभमिऊणं विज्झायं झत्ति तत्तो य ।। ४४ ।। संस्कृत छाया : तदपि खलु ममाऽऽसन्ने मणिप्रभावाद् भूत्वाऽसमर्थम् । पार्श्वे सम्भ्रम्य विध्यातं झटिति ततश्च ।। ४४ । । गुजराती अनुवाद : ते आग्नेय शस्त्र पण मारी पासे आव्युं तो खरुं पण दिव्यमणिना प्रभावथी असमर्थ थइने मारी पासे भमीने तरत ज पछी बुझाई गयुं... (शांत थई गj) हिन्दी अनुवाद : वह आग्नेय शस्त्र भी मेरे पास आया तो परन्तु दिव्यमणि के प्रभाव से असमर्थ होकर मेरे चारों ओर घूमकर तुरन्त ही बुझ गया... ( शान्त हो गया)। गाहा : वारुण-वायव्वाई पट्ठवियाई कमेण सत्थाइं । ताणिवि मणि- पभावा दूरिच्चिय मह विलीणाई । । ४५ ।। संस्कृत छाया : वारुण-वायव्ये प्रस्थापिते क्रमेण शस्त्रे । तेऽपि मणि- प्रभावा- हूरैव मम विलीने ।। ४५ ।। गुजराती अनुवाद : त्यारपछी अनुक्रमे वारुण-वायव्य विगेरे शस्त्रो मारी ऊपर अजमावी जोया ते दरेक शस्त्र मारा मणिना प्रभावथी दूरथी ज विलीन थई गया । 522
SR No.525071
Book TitleSramana 2010 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size20 MB
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