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________________ गाहा : अह सो धणुह-विमुक्को वेगेणागम्म मज्झ आसन्ने । आवडि व्व सिलाए वलिओ पच्छा-मुहो झत्ति ।। ३९।। संस्कृत छाया : अथ स धनुर्विमुक्तो वेगेनाऽऽगम्य ममाऽऽसन्ने । आपतित इव शीलायां वलितः पश्चान्मुखो झटिति ।।३९।। गुजराती अनुवाद : हवे ते धनुषमाथी छूटेलुं बाण वेगपूर्वक मारी नजीक आवी शिला उपर अथडायेलानी जेम जल्दी पार्छ फर्यु। हिन्दी अनुवाद : अब वह धनुष से छूटा हुआ बाण वेगपूर्वक मेरे नजदीक आकर शिला से टकराकर लौटे, वैसे ही वापस लौट गया। गाहा : तं दटुं सो खयरो विम्हिय-हियओ ससंकिओ किंचि । खणमेगमच्छिऊणं इय वज्जरिउं समाढत्तो ।। ४०।। संस्कृत छाया : तं दृष्ट्वा स खचरो विस्मितहृदयः सशङ्कितः किश्चित् । क्षणमेक-मासित्वा इति कथयितुं समारब्धः ।।४।। गुजराती अनुवाद : ते जोइने विस्मित हृदयवालो काइक संदेहवालो ते विद्याधरे क्षणवार रहीने आ प्रमाणे कां। हिन्दी अनुवाद : यह देखकर आश्चर्यचकित हृदयवाला कुछ संदिग्ध उस विद्याधर ने क्षणभर रुक कर इस प्रकार कहा। (विशिष्ट शस्त्रो थी प्रहार) गाहा : जइ कहवि खुद्द-विज्जा-पभावओ मह सरो पडिक्खलिओ। तहवि न छुट्टसि इण्हि अग्गेयाईण सत्थाण ।। ४१।। 520
SR No.525071
Book TitleSramana 2010 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size20 MB
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